भगवान नृसिंह की प्रतिमा पानी में सीधी नहीं बल्कि तैरती है उल्टी दिशा में

punjabkesari.in Sunday, Sep 15, 2019 - 12:50 PM (IST)

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आप सबने भगवान के चमत्कारों के बारे में सुना तो जरूर होगा और यकीनन उन्हीं चमत्कारों के बारे में जानने के लिए कई तरह के प्रयास भी किए होगें। बीते दिनों भगवान के दूध पीने को लेकर काफी चर्चा रही है। इन सबको देख भगवान के प्रति लोगों का विश्वास ओर भी बढ़ जाता है। इन सब किस्सों के बाद आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे ही अनोखे चमत्कार के बारे में, जिसे जानने के बाद आप सब हैरान ही हो जाएंगे। आइए जानें, भगवान का चमत्कार-
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यह किस्सा है मध्यप्रदेश के देवास जिले में हाटपिपल्या का। कहा जाता है की यहां भगवान नृसिंह जी की साढ़े सात किलो की पाषाण प्रतिमा पानी में तैरती है। जी हां, हाटपिपल्या में भमोरी नदी है, जहां भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलों की पाषाण प्रतिमा तैरती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार देखा जा चुका है। यहां हर साल डोलग्यासर पर नृसिंह भगवान की प्रतिमा को नदी में तीन बार तैराया जाता है। लोगों का दावा है की प्रतिमा पानी में तैरती है और नदी के बहाव की उल्टी दिशा में तैरती है। 
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दरअसल, प्रतिमा तैराने के पीछे एक मान्यता है। जिसके अनुसार भगवान की प्रतिमा को तीन बार तैराने से आने वाले साल की खुशहाली का अंदाजा लगाया जाता है। बुजुर्गों के बताए अनुसार नृसिंह भगवान की इस पाषाण प्रतिमा का इतिहास करीब 115 साल पुराना है। साल 1902 से हर वर्ष भादौ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यानि डोल ग्यारस के दिन नृसिंह भगवान की प्रतिमा तैराई जाने की परंपरा है। कहा जाता है की प्रतिमा की प्रतिष्ठा बागली रियासत के पंडित बिहारीदास वैष्णव ने नृसिंह पर्वत की चारों धाम की तीर्थ यात्रा करवाने के बाद पीपल्या गढ़ी में करवाई थी।
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भमोरी नदी में पंड़ितों के स्नान के बाद नदी की पूजा की जाती है। उसके बाद पंडित द्वारा दीपक जलाकर नदी में छोड़ा जाता है और मंत्रोच्चार के साथ तीन बार प्रतिमा को तैराया जाता है। हर साल प्रतिमा पानी में तैरती है और तीनों बार कामयाबी मिलती है। हाटपिपल्या में हर साल होने वाले इस परंपरा को देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु भमोरी नदी के घाट पर एकजुट होते हैं।


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