Narak Nivaran Chaturdashi: छोटी दीपावली पर इन 6 देवी-देवताओं की करें पूजा और पाएं लम्बी उम्र का आशीष
punjabkesari.in Wednesday, Oct 30, 2024 - 06:32 AM (IST)
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Narak Nivaran Chaturdashi 2024: दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी आती है, जिसे छोटी दीपावली, रूप चौदस, भूत चतुर्दशी और नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग अपने परिवार को अकाल मृत्यु से बचाने के लिए और मोक्ष के लिए यमराज सहित देवी- देवताओं की पूजा करते हैं। इस दिन मां काली की पूजा-अर्चना विधि-विधान से करने पर शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है।
यह पर्व धनतेरस से अगले दिन तथा दीपावली से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर की गई पूजा में 6 देवी-देवताओं यमराज, श्रीकृष्ण, माता काली, भगवान शिव, हनुमान जी व वामन जी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। शाम को पूजा करने से घर में सकारात्मकता का वास होता है।
एक कथा के अनुसार, राक्षस नरकानुसार देव-देवियों और मानव जाति को बहुत परेशान करता था। उसने 16 हजार स्त्रियों को बंदी बनाकर रखा था तथा देवी-देवताओं ने भगवान श्री कृष्ण की शरण ली। उन्होंने नरकासुर का वध कर तीनों लोकों को अत्याचार से मुक्त कराया।
नरकासुर को श्राप मिला था कि वह किसी स्त्री के कारण मारा जाएगा। इस कारण से योगेश्वर श्री कृष्ण ने पत्नी सत्यभामा की मदद ली। उन्हें अपने रथ का सारथी बनाकर राक्षस नरकासुर का वध किया तथा 16 हजार स्त्रियों को मुक्त कराया। उन्होंने 16 हजार स्त्रियों को अपने नाम के रक्षा सूत्र दिए, ताकि सम्पूर्ण आर्यव्रत में इन स्त्रियों को भी श्री कृष्ण की पत्नी की तरह सम्मान मिल सके। इस अवसर पर दीपावली की तरह दीपक जलाए जाते हैं। यमराज एवं बजरंग बली की पूजा खासतौर पर की जाती है।
मान्यता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने से नरक में मिलने वाली यातनाओं और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। दीपावली पर यम के लिए चतुर्मुख दीपदान करना शुभ होता है। लम्बी उम्र के लिए घर के बाहर यम का दीपक जलाने की परम्परा है। यह दीपक दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए।
इस दिन तेल लगाकर स्नान किया जाता है। मान्यता है कि कार्तिक महीने में तेल लगाकर स्नान नहीं किया जाता लेकिन नरक चतुर्दशी के दिन तेल लगाकर ही स्नान किया जाता है। इस दिन हनुमान चालीसा या सुंदर कांड का पाठ करना श्रेष्ठ होता है। नरक चतुर्दशी के दिन घर के नरक यानी गंदगी को साफ किया जाता है। इसके अगले दिन महालक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन श्री कृष्ण की पूजा राधा रानी जी के साथ की जाती है।