Nag Panchami 2019: हर डर से छुटकारा पाने के लिए ऐसे करें नाग देवता की पूजा

punjabkesari.in Monday, Jul 22, 2019 - 11:34 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

हमारे धर्म शास्त्रों, पुराणों के अनुसार नाग को देवता माना जाता है। भगवान शिव ने नागों को गले में धारण करके इनका महत्व और भी बढ़ा दिया है। सावन मास की शुक्ल पक्ष पंचमी को नाग पंचमी के नाम से जाना जाता है। आज के दिन ये पर्व बंगाल और राजस्थान में मनाया जाता है। अन्य स्थानों पर 5 अगस्त को मनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त आज श्रावण सोमवार के व्रत प्रारम्भ हो रहे हैं। रामायण, महाभारत काल से लेकर उपनिषदों, पुराणों व कई मिथक ग्रंथों में नाग देवता के रूप में मान्यता पाते हैं और हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पृथ्वी शेष नाग के फन पर टिकी है। किंवदंती है कि जैसे-जैसे पृथ्वी पर पाप कर्म बढ़ते हैं शेष नाग क्रोधित होकर अपना फन हिलाते हैं जिससे पृथ्वी डगमगा जाती है। इसी कारण नाग पूजा का प्रचलन प्रारंभ हुआ। इस दिन देश भर में नागों की पूजा की जाती है। 

PunjabKesari Nag Panchami 2019

महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ अपनी झोली से विषैले जीवों को भूमि पर विचरण हेतु छोड़ देते हैं और जन्माष्टमी पर अपनी झोली में समेट लेते हैं। श्रावण मास में नाग पंचमी होने के कारण पृथ्वी को खोदने का काम नहीं किया जाता। इस माह भूमि पर हल नहीं चलाना चाहिए। मकान बनाने के लिए नींव भी नहीं खोदनी चाहिए। भूमि खोदने से नाग देवता को कष्ट होने की संभावना होती है। पुराणों में वर्णन आता है कि समुद्र मंथन में वासुकी नाग को मंदराचल पर्वत के इर्द-गिर्द लपेट कर रस्सी की भांति उपयोग किया गया।

भोले भंडारी बाबा को नागों का देवता माना जाता है। उनके सारे शरीर पर नाग निवास करते हैं। गले में नागों का हार, कानों में नाग कुंडल, सिर पर नाग मुकुट, कमर एवं छाती पर भी नागों का डेरा होता है। शिव की स्तुति में शिवाष्टक में भी वर्णन है कि शिव भोले का सारा शरीर सांपों के जाल से ढंका हुआ है।

PunjabKesari Nag Panchami 2019

इसी प्रकार भगवान विष्णु शेष नाग द्वारा बनाई गई शैय्या पर शयन करते हैं। रामायण में विष्णु भगवान के अवतार भगवान श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण एवं महाभारत में श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम को शेषनाग का अवतार माना जाता है। कश्मीर के जाने माने संस्कृत कवि कल्हण ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘राजतरंगिणी में कश्मीर की सम्पूर्ण भूमि को नागों का स्थान माना है। 

गौरी पूजन प्रसंग में हिन्दू महिलाएं बांझपन दूर करने के लिए नाग पूजा करती हैं। ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। अग्नि पुराण में लिखा है कि शेष आदि सर्पराजों का पूजन पंचमी को होना चाहिए। दूध एवं सुगंधित पुष्प नागों को अतिप्रिय हैं।

PunjabKesari Nag Panchami 2019

दूध, चावल, जल, फूल, नारियल आदि सकल सामग्री नाग पूजन में प्रयुक्त होती है। केवल कच्चा दूध ही नागों को चढ़ाया जाता है। ज्योतिष में राहू व केतू को सर्प माना जाता है। राहू को सर्प का सिर तथा केतू को पूंछ माना जाता है। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार जब सौर मंडल के समस्त ग्रह राहू व केतू की परिधि में आ जाते हैं तब जन्म कुंडली में कालसर्प दोष योग का निर्माण होता है।

नाग पंचमी वाले दिन किसी सपेरे से नाग खरीद कर उसे जंगल में खुला छोडऩे से शांति मिलती है। नाग पंचमी के दिन दूध, कुशा, गंध, फूल, लड्डुओं से निम्र मंत्र पढ़ कर स्तुति करें : ॐ कुरु कुल्ये हुं फट स्वाहा’। नाग पूजन में चंदन की लकड़ी का प्रयोग अवश्य करें क्योंकि उन्हें उसकी सुगंध अतिप्रिय है। नाग पूजन से सर्प काटने का डर नहीं रहता। कुल में कभी किसी की सर्पदंश से मृत्यु नहीं होती। घर में सुख-शांति बढ़ती है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News