Nag Panchami 2021: आज भी भारत में विद्यमान हैं नाग जाति के वंशज
punjabkesari.in Tuesday, Aug 10, 2021 - 08:04 AM (IST)

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Nag Panchami 13 August 2021: भारत में नाग देवता की पूजा हिन्दू संस्कृति में प्रकृति से आत्मीय संबंध जोड़ने की परंपरा का हिस्सा है। फसल का नुक्सान करने वाले जीव-जंतुओं का नाश करके सांप खेतों का रक्षण करता है, अत: उसे क्षेत्रपाल कहते हैं। माना जाता है कि कश्यप मुनि की पत्नी कदरू ने सर्पों को जन्म दिया। एक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में सर्प वासुकी का प्रयोग रस्सी के रूप में किया गया था। भगवान शंकर के गले में सर्पों की माला शोभा देती है, वहीं भगवान विष्णु की शय्या ही शेषनाग है। नाग देवता को ग्राम देवता, कुल देवता माना जाता है।
Why do we celebrate Nag Panchami: जनश्रुतियों के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग जाति की उत्पत्ति हुई थी जिसके वंशज आज भी भारत में विद्यमान हैं। महाभारत काल में पूरे भारत वर्ष में नागा जातियों के समूह फैले हुए थे। उनके देवता सर्प थे। असम, नागालैंड, मणिपुर, केरल और आंध्र प्रदेश में नागा जातियों का वर्चस्व रहा है। अग्नि पुराण में 8 प्रकार के नाग कुलों का वर्णन है नाग वंशावलियों में ‘शेष नाग’ को नागों का प्रथम राजा माना जाता है। शेषनाग को ही ‘अनंत’ नाम से भी जाना जाता है।
Nag Panchami 2021 नाग पंचमी : नाग पंचमी सावन माह के प्रमुख त्यौहारों में से एक है, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। बिहार, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान में लोग कृष्ण पक्ष में यह त्यौहार मनाते हैं जबकि देश के बाकी हिस्सों में श्रावण शुक्ल पंचमी को यह पर्व मनाया जाता है। उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में नागपंचमी के दिन नाग की मूर्तियां बना विधि-विधान से इनकी पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल और झारखंड के सीमावर्ती जिलों में नागपंचमी के दिन राजा परीक्षित को नागराज तक्षक द्वारा काट लिए जाने की कहानी पर नृत्य नाटिका होती है। पूर्वी बिहार मे नागपंचमी के दिन बिहुला सती की पूजा की जाती है।