ये है देश के कुछ ऐसे धार्मिक स्थल, जिनके रहस्य हैं अनसुलझे

punjabkesari.in Friday, Oct 01, 2021 - 04:46 PM (IST)

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हमारे देश में सनातन धर्म से जुड़े कई धार्मिक स्थल देेखने को मिलते हैं। इनमें से कई धार्मिक स्थल तो ऐसे हैं जिनसे जुड़े रहस्य ऐसे हैं, जो न केवल चौकाने वाले हैं बल्कि इनमें से कई रहस्य ऐसे हैं जो आज तक सुलझ नहीं पाएं हैं। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से ऐसे ही कुछ मंदिरों का दौरा करवाने जा रहे हैं जो बेहद खास कहलाते हैं। तो चलिए जानते हैं इन चमत्कारी व खास मंदिरों के बारे में।

सबसे पहले बात करते हैं औरंगाबाद के एलोरा में स्थित कैलाश मंदिर की, जिसका निर्माण एक बड़े पहाड़ को ऊपर से नीचे की ओर तराशते हुए किया गया है। इसकी सबसे खास बात तो ये है कि इसके निर्माण के दौरान किसी भी प्रकार की ईंट या चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसे लेकर प्रचलित मान्यताओं के अनुसार 8वीं शताब्दी में पारलौकिक शक्तियों द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था जिसे बनाने में 18 साल लगे थे। तो वहीं पुरातत्वविज्ञानियों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण 4 लाख टन पत्थरों को काटकर इतने कम समय में होना संभव नही है। उनके अनुसार 7 हजार मजदूर 150 वर्षों तक दिन रात कम करें तब भी इस मंदिर का निर्माण संभव है। मान्यता है इसके निर्माण के लिए भोलेनाथ ने अपना भूमि अस्त दिया था।  

अब बात करते हैं मेरठ के औरंगशाहपुर के डिग्गी गांव के श्मशान में स्थित प्राचीन मंदिर की। बताया जाता है इस मंदिर में मां मंशा देवी की प्रतिमा स्थापित है। वैसे तो इस मंदिर में सप्ताह के सातों दिन पूजा अर्चना की जाती है, परंत खास तौर पर यहां रविवार के दिन माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। यहां लोक मत के अनुसार 200 वर्ष पहले इस स्थान पर श्मशान घाट था। जहां वर्तमान समय में देवी मां की मूर्ति स्थापित है। मान्यता है कि श्मशान घाट में निवास करने के कारण इन्हें मरघट वाली देवी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि मंदिर में स्थापित प्रतिमा सिद्ध मूर्ति है। जिस कारण यहां आने वाला कोई भी भक्त मां के आशीर्वाद के बिना नहीं जाता। 

आखिर में बात करते हैं टिटलागढ़ में स्थित शिव जी के अनोखे मंदिर की। बताया जाता है उड़ीसा के सबसे गर्म क्षेत्र में स्थित ये मंदिर एक कुम्हड़ा पहाड़ पर स्थित है। बताया जाता है पथरीली चट्टानों के चलते यहां पर प्रचंड गर्मी होती, परंतु खास बात ये है कि इस मौसम का इस मंदिर पर कोई असर नहीं पड़ता। बल्कि यहां एसी से भी ज्यादा ठंड होती है। इससे भी हैरानी की बात ये है कि यहां गर्मी की प्रचंडता के चलते भक्तों के लिए मंदिर परिसर के बाहर 5 मिनट भी खड़े होना नामुमकिन हो जाता हैं, परंतु जैसे ही भक्त मंदिर के भीतर कदम रखते हैं, तो उन्हें एसी से भी अधिक ठंडी हवाओं का अहसास होने लगता है। बता दें ये मंदिर वातावरण केवल मंदिर परिसर तक की सीमित है। कहा जाता है मंदिर से जुड़े इस रहस्य को आज तक कोई नहीं सुलझा पाया। 


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Content Writer

Jyoti

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