Happy New year 2020:  नववर्ष पर यहां लगता है स्वामीनारायण के भक्तों का तांता

punjabkesari.in Wednesday, Jan 01, 2020 - 12:45 PM (IST)

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हर किसी का इंतज़ार खत्म हो चुका है जी हां आप सही समझ रहे हैं हम न्यू ईयर की बात कर रहे हैं। जिसकी धूम दुनिया भर में देखने को मिल रही है। आप में से बहुत से लोगों देखा होगा कि कुछ लोग इस खास मौके पर तीर्थों के दर्शनों को जाते हैं। तो अगर आप भी नए साल को खास बनाने के लिए कहीं जाने का मन यानि किसी तीर्थ स्थल जाने की सोच रहे हैं तो आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश, गोंडा के छपिया स्थित स्वामीनारायण मंदिर इसके लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। बताया जाता है कि देश के हर कोने से यहां श्रद्धालु भगवान स्वामी नारायण के दर्शनों को आते हैं। तो आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में-
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कहा जाता है पद्मपुराण, स्‍कंदपुराण और भागवत पुराण में स्‍वामीनारायण के अवतार का संकेत मिलता है। ऐसी मान्यता है 1781 में गोंडा के छपिया में भगवान स्‍वामीनारायण ने मनुष्‍य रूप में जन्‍म लिया था। बहुत कम उम्र में ही उन्‍होंने शास्‍त्रों की शिक्षा ले ली थी। इसके बाद 11 साल की उम्र में उन्‍होंने भारत में अपनी 7 साल की तीर्थ यात्रा शुरू की।

इनसे संबंधित एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार स्‍वामीनारायण यानि नीलकंठवर्णी तीर्थ स्‍थलों की यात्रा के पास मंगरोल के समीप लोज गांव पहुंचे। वहीं उनकी मुलाकात स्‍वामी रामानंद महराज से हुई। जितना स्‍वामीनारायण उनसे मिलने के लिए परेशान थे उतना ही स्‍वामी रामानंद भी व्याकुल थे। इस बारे में जिक्र मिलता है कि रामानंद भी अपनी कथाओं के दौरान भक्‍तों से कहते थे कि असली नट तो आने वाला है। वह तो केवल उसके आने से पहले का संदेश बांट रहे हैं। इसके बाद जब उनकी मुलाकात हुई नीलकंठवर्णी से तो उन्‍होंने उन्‍हें आश्रम में ही रहने को कहा। स्वामी रामानंद ने नीलकंठवर्णी को पीपलाणा गांव में दीक्षा देकर उनका नाम सहजानंद रख दिया। इसके कुछ ही समय बाद रामानंद जी ने जेतपुर में सहजानंद को अपने संप्रदाय का आचार्य पद भी दे दिया।
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फिर कुछ समय बाद स्वामी रामानंद जी का शरीरांत हो गया। अब स्वामी सहजानंद ने गांव-गांव घूमकर सबको स्वामीनारायण मंत्र जपने को कहा तथा निर्धनों की सेवा को अपने जीवन का लक्ष्‍य बनाकर सभी वर्गों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लग गए और जो भी उनकी शरण में आता वह उसे ईश्‍वर के नाम का जप करने को कहते। तथा समाज के प्रति अपनी जिम्‍मेदारियों का अहसास करवाते। इनकी सबसे खास बात यह थी कि जो भी उनकी शरण में जाता है और उनके साथ रहने की इच्‍छा जताता तो वह उसे पांच व्रतों का पालन करने को कहते। बता दें इन पांच व्रतों में वह मांस, मदिरा, चोरी, व्यभिचार का त्याग कर स्वधर्म के पालन की बात शामिल थी।

स्‍वामीनारायण मंदिरों की श्रृंखलाएं
भगवान स्वामीनारायण के मंदिर न केवल यहां बल्कि देश के अन्य शहरों में भी है यानि पूरे देश भर में है। पौराणिक मान्यताओं की मानें तो स्‍वामी सहजानंद ने अपने कार्यकाल में अहमदाबाद (गुजरात), वडताल, मूली, धोलका, भूज, जेतलपुर, धोलेरा, गढ़डा, तथा जुनागढ़ में शिखरबद्ध मंदिरों का निर्माण कराया। उसी श्रृंखला में गोंडा के छपिया में भी स्‍वामीनारायण मंदिर का निर्माण किया गया।
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Jyoti

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