Murud Janjira Fort: भारत का अनोखा किला, जिसे नहीं जीता पाया आज तक कोई राजा
punjabkesari.in Tuesday, Feb 11, 2025 - 09:54 AM (IST)
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Murud Janjira Fort: मुरुड को कभी हबसन या हब्शी के नाम से जाना जाता था जिसका मराठी में अर्थ है अब्य्स्सिनियन। मुरुड शब्द मोरोड़ से जुड़ा हुआ है जो एक कोंकणी शब्द है। इस प्रकार इस किले का नाम कोंकणी और अरबी शब्द (मोरोड़ और जंजीरा) से पड़ा जो बाद में मुरुड़ जंजीरा के नाम से जाना जाने लगा है। अनेक लोग इस किले को जल जीरा भी कहते हैं क्योंकि यह स्मारक चारों ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है।
मुरुड जंजीरा एक प्रसिद्ध बंदरगाह है जो महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के अंतर्गत एक तटीय गांव मुरुड में स्थित है। किसी समय सिद्दी राजवंश द्वारा कब्जे में किया गया यह केवल एक ही किला है जो मराठों, पुर्तगालियों, डच तथा इंगलिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के अनेक हमलों के बाद भी खराब नहीं हुआ और न ही हारा। जंजीरा नाम हिन्दोस्तानी मूल का नहीं है। इसका उद्भव अरबी शब्द जजीरा से हुआ है जिसका अर्थ टापू या द्वीप होता है।
12वीं शताब्दी में जब सिद्दी राजवंश द्वारा यह किला बनाया गया उस समय मुरुड शहर जंजीर के सिद्दियों की राजधानी था। विदेशी और घरेलू सत्तारूढ़ राजवंशों ने इस किले में घुसने तथा कब्जा करने के अनेक असफल प्रयत्न किए जिसमें सबसे अधिक नुक्सान मराठों का हुआ। स्मारक का दुर्ग शानदार ढंग से बनाया गया था। प्रारंभ में मुरुड के स्थानीय मछुआरों द्वारा एक लकड़ी के गढ़ के रूप में बनाया गया यह किला समुद्र की ओर से होने वाले समुद्री डाकुओं के आक्रमणों से उनके बचाव के लिए और रक्षा के लिए बनाया गया था।
कहा जाता है कि बाद में पीर खान ने नगर के निजाम शाही रावजंश के तहत इस किले पर कब्जा कर लिया। जैसे-जैसे समय बीता उसने इस किले को और मजबूत किया और उसे इतना शक्तिशाली बनाया कि यह हमला करने वाले दुश्मनों के लिए अभेद्य बन गया। नगर साम्राज्य के एक प्रमुख शासक मालिक अम्बर ने किले को फिर से बनाया।
प्रमुख आकर्षण
मुरुड जंजीरा किला एक मजबूत समुद्री किला है जहां राजापुरी घाट से पहुंचा जा सकता है। यहां अभी भी कई बुर्ज और तोपे हैं जो खराब नहीं हुई हैं। किले के परिसर में मस्जिद, अधिकारियों के रहने के स्थान, अनेक महल और एक बड़ी पानी की टंकी है। बेसिन का अद्भुत द्वीप किला भी एक और ऐतिहासिक स्मारक है,जहां से बेसिन का समुद्र तट देखा जा सकता है। पास का पंचला किला भी दर्शनीय है। ऐतिहासिक किले के अलावा मुरुड छुट्टियों के लिए आदर्श स्थान है। इसके समुद्र तट पर चांदी की तरह चमकती हुई सफेद रेत है जिसके किनारे नारियल और सुपारी के पेड़ लगे हुए हैं। यहां का स्वच्छ पानी सूर्य की किरणों से चमकता है और चारों ओर फैली हुई हरियाली शक्तिशाली चुम्बक की तरह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। धार्मिक लोगों के लिए एक प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है।
इस मंदिर की मूर्ति अत्यंत सुंदर है जिसके तीन सिर हैं जो हिन्दू देवता-ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के प्रतीक हैं। यह छोटा सा मछली पकड़ने का गांव एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है। यहां का सूर्य रेत, ऐतिहासिक किले और सुहावना मौसम उन पर्यटकों को अपनी ओर बुलाता है।
आने का सही समय
मुरुड जंजीरा की जलवायु स्वास्थ्यप्रद है जहां साल में अधिकांश समय वातावरण सुहावना होता है और मुरुड हमेशा ही आकर्षक लगता है। अक्तूबर से मार्च के बीच का समय इस स्थान की यात्रा के लिए उपयुक्त है। इस दौरान यहां ठंड का मौसम होता है और मौसम खुशनुमा होता है। मई व जून के महीने में यहां मौसम थोड़ा गर्म होता है तथा तापमान 32 डिग्री सैल्सियस तक पहुंच जाता है। इसी तरह मानसून के दौरान यहां सामान्य वर्षा होती है। यह मौसम जून से सितम्बर के महीने तक होता है। यह समय इस स्थान की सैर के लिए उपयुक्त है।
कैसे पहुंचे ?
वायु मार्ग : मुम्बई का छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा मुरुड जंजीरा का निकटतम हवाई अड्डा है, जो लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा देश के तथा देश के बाहर के शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
आपकी सहायता के लिए हवाई अड्डे के बाहर अनेक टैक्सियां उपलब्ध हैं जो आपको आपके गंतव्य तक ले जाएंगी। यदि आप घरेलू हवाई यात्रा कर रहे हैं तो पुणे का लोहगांव हवाई अड्डा और नाशिक का गांधीनगर हवाई अड्डा भी अन्य सुविधाजनक विकल्प है।
रेल मार्ग : मुरुड जंजीरा का निकटतम स्टेशन रोहा है। यह कोंकण रेलवे लाइन पर है और महाराष्ट्र राज्य के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस स्टेशन से मुरुड जंजीरा तक पहुंचने में एक घंटे का समय लगता है।
सड़क मार्ग : राज्य परिवहन तथा निजी दूर संचालकों की अनेक बसें उपलब्ध हैं जो विभिन्न शहरों जैसे पुणे, कल्याण और मुम्बई से मुरुड जंजीरा के बीच चलती हैं।