Muni Shri Tarun Sagar: जीवन में कभी विपत्ति आए तो कठोर बन कर जीना और सम्पत्ति आए तो कोमल

punjabkesari.in Tuesday, Aug 19, 2025 - 03:10 PM (IST)

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बाप या नौकर
घर में बेटा पैदा हुआ, मां-बाप खुश हुए। बेटा चलने लगा, मां-बाप खुश हुए। बेटा स्कूल-कालेज जाने लगा, मां-बाप खुश हुए। बेटे की शादी हुई, घर में बहू आई। मां-बाप खुश हुए। बेटा लड़ झगड़ कर अलग हो गया। मां बाप...।

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बेटा गांव से शहर चला गया, मां-बाप...।

एक दिन बेटे के बेटा हुआ। समस्या आ खड़ी हुई है। पति-पत्नी दोनों नौकरी पर जाते हैं। बच्चे को कौन संभाले।

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विचारों को छानना जरूरी
पति बोला, ‘‘एक आया रख लेते हैं।’’

पत्नी बोली, ‘‘नहीं एक नौकर रख लेते हैं।’’

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तभी पति बोला, ‘‘क्यों न गांव से बाबू जी को बुलवा लें ? सच यह है कि नौकर की जरूरत पड़ती है तो बाप याद आता है। दरअसल बाप से भरोसेमंद नौकर और कहां मिलेगा।

मन के विचार आदमी की सबसे बड़ी पूंजी हैं। विचार ही हैं जो आदमी को ऊंचा उठाते हैं और नीचे गिराते हैं। विचार बदलता है तो उच्चार बदल जाता है और उच्चार बदलता है तो आचार बदल जाता है। दुनिया में जितने भी विचार हैं, वे सब सापेक्ष हैं। इसलिए विचारों का आग्रह मत रखो।

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हर हाल में मस्त रहें
किसी भी विचार को गलत कहने से पहले 10 बार नहीं, सौ बार सोचना चाहिए। पेट में क्या डालना है ? आदमी सोचता है। मस्तिष्क में विचार डालने से पहले उन्हें छानना जरूरी है। जीवन की साधना कुछ इस तरह बनाएं कि हर हाल में मस्त रहें। फूल अर्थी पर चढ़े या मंदिर में, हर हाल में महकता है। धुआं हवन का हो या कफन का, उसके रंग में कोई फर्क नहीं पड़ता। जीवन में कभी विपत्ति आए तो कठोर बन कर जीना और सम्पत्ति आए तो कोमल। आपत्ति के क्षणों में चेहरे से मुस्कान न जाए और सम्पत्ति के क्षणों में चेहरे पर अहंकार न आए।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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