Muni Shri Tarun Sagar: जब तक दो तरह की जिंदगी रहेगी तब तक...
punjabkesari.in Tuesday, Feb 28, 2023 - 10:30 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
दो चेहरे की जिंदगी
एक भिखारी सड़क के किनारे भीख मांग रहा था। वहां से गुजर रहे एक साहब बोले,‘‘क्यों भाई, कल तो तुम सामने वाली नुक्कड़ पर लाटरी के टिकट खरीद रहे थे और आज अंधे होने का नाटक कर रहे हो ?’’
भिखारी ने कहा, ‘‘साहब, वह मेरी सोशल लाईफ थी और यह मेरी प्रोफैशनल लाइफ है।’’
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कीचड़ में कमल
भगवान महावीर कहते हैं जब तक दो तरह की जिंदगी रहेगी तब तक आप धार्मिक नहीं हो सकते। दोहरी जिंदगी ही विसंगतियों का मूल है। दो दृष्टियां हैं- एक दृष्टि दुर्योधन जैसी है, दूसरी दृष्टि युधिष्ठिर जैसी है। दुर्योधन को पूरी द्वारिका में एक भी आदमी ऐसा नहीं मिलता जिसमें कोई विशेषता हो। उधर युधिष्ठिर को पूरी द्वारिका में ऐसा आदमी नहीं मिलता, जिसमें कोई विशेषता न हो।
युधिष्ठिर को प्रत्येक आदमी में कोई न कोई गुण दिखाई देता है। सम्यक दृष्टि वही है जो कीचड़ में कमल को देख लेती है, दुख में भी सुख खोज लेती है।
हिंसा धर्म नहीं हो सकती
अहिंसा धर्म का प्रथम द्वार है और सौहार्द का महोत्सव है। हिंसा कभी धर्म नहीं हो सकती, भले ही वह किसी देवी-देवता के नाम से क्यों न की गई हो।
अहिंसा और सत्य भारत के सर्वोच्च सिद्धांत रहे हैं। देश की मोहर में भी ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है।
मेरा मानना है कि जब तक किसी मनुष्य या जानवर की आंख में आंसू रहेंगे तब तक हमारा अहिंसा और सत्य का सिद्धांत अधूरा है। हमें इस सिद्धांत को आगे ले जाना है।
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