कड़वे प्रवचन लेकिन सच्चे बोल- मुनि श्री तरुण सागर जी

punjabkesari.in Tuesday, Jan 11, 2022 - 11:38 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Muni Shri Tarun Sagar: सतयुग में मनुष्य की आयु 1,00,000 वर्ष की होती थी। समय आगे बढ़ा। त्रेतायुग आया। त्रेतायुग में एक शून्य घट गया। आयु 10,000 वर्ष की रह गई। फिर द्वापरयुग आया। एक शून्य और घट गया। आयु सिर्फ 1000 वर्ष रह गई। कलयुग आया तो एक शून्य और घट गया। केवल 100 वर्ष रह गई  और अब जब हम जी रहे हैं तो यह और घट गई है। अब मनुष्य की औसत आयु 60-70 वर्ष रह गई है तथा आने वाले समय में तो यह और घट जाएगी। व्यक्ति की आयु तब केवल 16 वर्ष रह जाएगी।

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राजा के पास एक साधु पहुंचा। राजा ने सोचा। यह कुछ मांगेगा। राजा का देने का मन नहीं था। राजा ने कहा, ‘‘आप अगस्त्य ऋषि की संतान हैं। अगस्त्य ऋषि ने तो समुद्र को तीन चुल्लू में पी लिया था। आप तीन घड़े पानी पीकर दिखाएं तो मैं आपको दान दूं।’’ 

साधु होशियार था। बोला, ‘‘महाराज! आप रघुवंशी हैं। राम ने बड़े-बड़े पत्थर समुद्र में तिरा दिए थे। आप एक छोटा-सा कंकर तिराकर दिखाएं तो मैं तीन घड़े पानी पीकर दिखाऊं।’’ 

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पोलियो की दवा यदि बचपन में पिएं तब तो ठीक है और यदि पचपन में पी तो कोई फायदा होने वाला नहीं है। इसका अर्थ यह है कि बच्चों में ज्ञान संस्कार बचपन में ही डालना चाहिए। आजकल बड़े होशियार बच्चे पैदा हो रहे हैं। अब मूर्ख बच्चे पैदा होना बंद हो गए। आजकल के बच्चे सिखाने से नहीं सीखते। आप उन्हें जो भी सिखाना चाहते हैं। बस! दिखाना (आचरण) शुरू कर दें।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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