कड़वे प्रवचन लेकिन सच्चे बोल- मुनि श्री तरुण सागर जी
punjabkesari.in Friday, Aug 28, 2020 - 09:00 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कुआं और बाल्टी
तृष्णा बेपेंदे की बाल्टी है। इसे कुएं में डालो, भरो, खडख़ड़ाओ और खींचो तो खाली की खाली। ऐसा नहीं है कि कुएं में पानी नहीं है। पानी है। वह तुम्हारी बाल्टी भर भी सकता है पर चूंकि बाल्टी बेपेंदा है, इसलिए वह नहीं भरेगी। लोग जिंदगी भर कुओं को बदलते रहते हैं। कभी इस कुएं पर जाते हैं, तो कभी उस कुएं पर। और जब बाल्टी नहीं भरती है तो कुओं को दोष देते हैं। तृष्णा रूपी बेपेंदा-बाल्टी में ‘संतोष रूपी पेंदा’ लगा दो तुम्हारी बाल्टी भर जाएगी।
विवाद के 2 कारण
बहस करें, मगर गरिमापूर्ण। बहस के दौरान पुराने मुद्दों को बीच में न लाएं। इससे मामला सुलझने की बजाय और उलझ जाएगा। पुराने घाव फिर हरे हो जाएंगे। बहस करिए पर गड़े मुर्दे मत उखाडि़ए क्योंकि मुर्दों में जान नहीं होती। विवाद की दो वजहें हुआ करती है: गलती या गलतफहमी। तुम्हारी गलती है तो स्वीकार करो या फिर सामने वाले को कोई गलतफहमी हो गई है तो उसके दूर होने का इंतजार करो।
आलसी लोगों का खजाना
बहाना और सफलता एक साथ नहीं चलते। अगर आप सफल होना चाहते हैं तो बहाना बनाना छोड़ दीजिए और बहाना बना रहे हैं तो सफलता को भूल जाइए। ‘मैं नहीं कर सकता।’ यह सबसे बुरा बहाना है। दरअसल बहाना आलसी लोगों का खजाना है। बहाने से आप दूसरों को संतुष्ट कर सकते हैं, पर खुद को नहीं। अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो इस आदत से तुरंत तौबा कर लीजिए।