ये है खुश रहने का सबसे बेस्ट तरीका, आप भी अपनाएं

punjabkesari.in Friday, Nov 29, 2019 - 10:47 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हर इंसान अपने वर्तमान से असंतुष्ट है। एक बड़ी सच्चाई यह है कि आप इस क्षण में यदि असंतुष्ट हैं तो किसी अन्य क्षण में भी असंतुष्ट ही रहेंगे। ऐसा नहीं वैसा हो जाए तब संतुष्ट हो जाएंगे, सुखी हो जाएंगे, यह ख्याल वास्तव में आपके मन का भ्रम है। अपने मन की मानकर जीने वाला व्यक्ति कभी भी सुखी जीवन नहीं जी सकता। सदैव असंतुष्ट रहेगा।
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कई बार लगता है कि हमें छोड़कर सभी बेहतरीन जिंदगी जी रहे हैं। सब आगे बढ़ रहे हैं, जबकि हमारे यहां दुख कतार बनाकर खड़े हैं। क्या वाकई दूसरों के यहां सब बहुत आसान और सही होता है?  मानव का मन बड़ा विचित्र है। उसे जो प्राप्त हो जाता है उससे वह संतुष्ट नहीं होता। वह और अधिक पाने के लिए ललचाता रहता है। उसके पास जो है उसे वह कम दिखाई पड़ता है। जो नहीं है, उसे पाने को लालायित रहता है। मन नई-नई मंजिलें तलाशता है। जिस मंजिल को वह पा लेता है वह उसके लिए व्यर्थ हो जाती है। उसकी भूमिका सिर्फ उसमें अहंकार पैदा करने की होती है। ऐसे ही अहंकार से परेशान लोगों से यह दुनिया भरी हुई है। हमारे इर्द-गिर्द दूसरों के अहंकार से परेशान लोग कम हैं, खुद के अहंकार से परेशान ज्यादा। सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमें दूसरों का अहं तो दिखता है लेकिन अपना नहीं।
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हालांकि सच यह है कि अति महत्वाकांक्षाएं टूटने के लिए ही होती हैं। आप यदि यह सोचकर दुखी हैं कि मेरी महत्वाकांक्षाएं अधूरी ही रह गईं तो यह आपकी नादानी है। महत्वाकांक्षाएं कब किसकी पूरी हुई हैं? यह जानते हुए भी कि अति हर चीज की बुरी होती है, हम बाज नहीं आते। स्वप्र देखते हैं तो अति करते हैं। इच्छाएं करते हैं तो भी रुकते नहीं। नतीजा यह कि बेचैनी साथ नहीं छोड़ती और जहां पहुंचना चाहिए, वहां पहुंच नहीं पाते।


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Jyoti

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