Motivational Story: दूसरों से उम्मीदें क्यों गलत हैं? हातिमताई की कहानी से पाएं जवाब

punjabkesari.in Thursday, May 22, 2025 - 07:00 AM (IST)

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Motivational Story: हातिमताई अपनी दानशीलता के लिए काफी प्रसिद्ध थे। दूर-दूर से लोग उनके पास आते। कोई भी उनके पास से खाली झोली लिए नहीं जाता था। एक दिन हातिम के कुछ मित्रों ने बातचीत के दौरान उनसे पूछा, “हातिम, क्या तुम किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हो जो तुमसे भी श्रेष्ठ हो।” हातिम ने सहमति में सिर हिलाया। मित्र चौंक गए। उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने जानना चाहा कि वह व्यक्ति आखिर कौन है।

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हातिम ने उत्तर दिया, “एक दिन मैंने बहुत बड़ा भोज दिया और उसमें हजारों लोगों को आमंत्रित किया। दिन भर दावत चलती रही। शाम को मैं जंगल की ओर घूमने गया। वहां मैंने एक लकड़हारे को देखा जिसने लकड़ी का एक भारी गट्ठर सिर पर उठा रखा था। मैंने उससे पूछा- तुम आज हातिम के भोज में शामिल क्यों नहीं हुए? कम से कम आज इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत थी।”

तब लकड़हारे ने जवाब दिया, “मुझे लगता है कि जो लोग अपना जीवन निर्वाह करने में स्वयं समर्थ हैं, उन्हें हातिम की दानशीलता, उसकी कृपा पर रहने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तो अपनी मेहनत से जो कुछ अर्जित करता हूं उसी से अपना पेट भरना चाहता हूं।”

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यह वृत्तांत सुनाकर हातिमताई ने कहा, “मैं उस लकड़हारे को खुद से ज्यादा श्रेष्ठ मानता हूं। मेरी दृष्टि में उन दानियों की अपेक्षा जो दूसरों का धन लेकर दान देते हैं या उन व्यक्तियों की अपेक्षा जो दूसरों से दान मिलने की उम्मीद में सबका मुंह ताकते रहते हैं, स्वयं परिश्रम कर अपना पेट भरने वाला ज्यादा अच्छा है।”

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Content Editor

Sarita Thapa

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