गौतम बुद्ध की सीख: कौन अछूत

punjabkesari.in Monday, Nov 14, 2022 - 11:22 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक बार वैशाली नामक स्थान के बाहर धर्म प्रचार के लिए जाते हुए गौतम बुद्ध ने देखा कि कुछ सैनिक तेजी से भागती हुई एक लड़की का पीछा कर रहे हैं। डरी हुई वह लड़की एक कुएं के पास जाकर खड़ी हो गई। वह हांफ रही थी और प्यासी भी थी। बुद्ध ने उस बालिका को अपने पास बुलाया और कहा कि वह उनके लिए कुएं से पानी निकाले, स्वयं भी पिए और उन्हें भी पिलाए। इतनी देर में सैनिक भी वहां पहुंच गए। बुद्ध ने उन सैनिकों को हाथ के संकेत से रुकने को कहा।

उनकी बात पर वह कन्या कुछ झेंपती हुई बोली, ‘‘महाराज! मैं एक अछूत कन्या हूं। मेरे द्वारा कुएं से पानी निकालने पर जल दूषित हो जाएगा।’’ 

बुद्ध ने उससे फिर कहा, ‘‘पुत्री, बहुत जोर की प्यास लगी है, पहले तुम पानी पिलाओ।’’

इतने में वैशाली नरेश भी वहां आ पहुंचे। उन्होंने बुद्ध को नमन किया और सोने के बर्तन में केवड़े और गुलाब का सुगंधित जल पेश किया। बुद्ध ने उसे लेने से इंकार कर दिया। बुद्ध ने एक बार फिर बालिका से अपनी बात कही। इस बार बालिका ने साहस बटोरकर कुएं से पानी निकाल कर स्वयं भी पीया और गौतम बुद्ध को भी पिलाया।
 

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें
PunjabKesari

पानी पीने के बाद बुद्ध ने बालिका से भय का कारण पूछा। कन्या ने बताया मुझे संयोग से राजा के दरबार में गाने का अवसर मिला था। राजा ने मेरा गीत सुन मुझे अपने गले की माला पुरस्कार में दी। लेकिन उन्हें किसी ने बताया कि मैं अछूत कन्या हूं। यह जानते ही उन्होंने अपने सिपाहियों को मुझे कैद खाने में डाल देने का आदेश दिया। मैं किसी तरह उनसे बचकर यहां तक पहुंची थी।

इस पर बुद्ध ने कहा, ‘‘सुनो राजन! यह कन्या अछूत नहीं है, आप अछूत हैं। जिस बालिका के मधुर कंठ से निकले गीत का आपने आनंद उठाया, उसे पुरस्कार दिया वह अछूत हो ही नहीं सकती। गौतम बुद्ध के सामने वह राजा लज्जित ही हो सकते थे।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News