अच्छा मुकाम हासिल करने के लिए खुद को घिसना पड़ता है
punjabkesari.in Friday, Apr 22, 2022 - 05:20 PM (IST)
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एक गोपी ने बांसुरी से कहा, ‘‘तुम तो बड़ी भाग्यशाली हो, तुम कान्हा के इतनी नजदीक रहती हो। तुम्हें कान्हा अपने कोमल हाथों में पकड़े रहते हैं। और तो और, जब कान्हा का मन करता है तो तुम्हें होठों से लगा लेते हैं।’’
‘‘जब कान्हा किसी और काम में व्यस्त हों, तो भी तू उनके कमरबंद में बंधी रहती है। ऐसे क्या और कितने अच्छे कर्म किए हैं तुमने जो कान्हा तुझे हर समय पास रखते हैं?’’
बांसुरी बोली, ‘‘बहन! यह दर्जा मुझे कान्हा ने यूं ही नहीं दिया। यहां तक पहुंचने के लिए मुझे बड़े कष्ट उठाने पड़े हैं।’’
गोपी बोली, ‘‘इसमें कष्ट उठाने वाली भला कौन-सी बात है?
साधारण लकड़ी लेकर कारीगर ने तुम्हें बांसुरी बना दिया, इसमें कष्ट कहां से आए?’’
बांसुरी बोली, ‘‘पहले मुझे मेरे परिवार के मुखिया पिता समान वृक्ष से काट कर अलग कर दिया गया। फिर मुझे बीच में से खोखला करने के लिए औजार चलाया गया। मेरी पीड़ा की पराकाष्ठा हो गई। अभी दर्द ठीक भी नहीं हुआ था तो मुझमें सुराख करके दर्द को और बढ़ाया गया।’’
‘‘इतना कुछ करने के बाद भी कारीगर का मन नहीं भरा तो उसने मेरे मुंह पर कलम काटने के लिए ब्लेड चला दिया। तब जाकर, मैं साधारण लकड़ी से बांसुरी बनी और कान्हा ने मुझे पसंद भी इसलिए किया कि मुझमें इतने सुराख होने के बावजूद भी मुझसे सुरीली आवाज ही निकलती है।’’
‘‘बहन! एक बात और बताऊं, ‘‘माथे का चंदन बनने के लिए घिसना-पिसना जरूरी होता है।’’
गोपी निरुतर हो गई।