Motivational Concept: सुख धन से नहीं, संतोष से आता है

punjabkesari.in Wednesday, Dec 01, 2021 - 12:17 PM (IST)

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इब्राहिम आदम बलख के बादशाह थे। वह प्रजा के हितों का बहुत ध्यान रखते थे। वे हमेशा स्वयं सम्पूर्ण राज्य में घूमते और पता लगाते कि कहीं किसी को कोई कष्ट तो नहीं है। प्रजा भी अपने इस नेक दिल बादशाह का बहुत सम्मान करती थी। कुछ सालों के राजपाट के बाद इब्राहिम का मन विरक्त हो गया। उन्होंने सब कुछ त्याग कर फकीरों का मार्ग अपना लिया। वह एक सामान्य कुटिया में रहने लगे। चूंकि प्रजा के मन में उनके प्रति अत्यधिक आदर था इसलिए लोग उनसे मिलने आते रहते थे। एक बार एक सम्पन्न व्यक्ति उनसे मिलने आया और अशर्फियों से भरी एक थैली उन्हें भेंट की।

इब्राहिम ने उसकी ओर देखा और बोले, ‘‘मुझे यह नहीं चाहिए। मैं गरीब की एक कौड़ी भी नहीं चाहता।’’

 व्यक्ति ने कहा, ‘‘मैं गरीब नहीं हूं बहुत अमीर हूं।’’ इब्राहिम ने कहा, ‘‘माना कि तुम्हारे पास पैसा बहुत है किन्तु बताओ कि पैसा पाने की तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई या अभी भी बनी हुई है।’’

उनकी बात सुनकर वो धनी कुछ आश्चर्य जताते हुए बोला, ‘‘ये बड़ा विचित्र प्रश्न है? आप तो जानते हैं कि पैसे कमाने की इच्छा किसी की भी कभी पूरी नहीं होती। मेरे मन में भी यह इच्छा बनी हुई है कि मैं निरंतर पैसा कमाता रहूं।’’

तब इब्राहिम ने उसे समझाया, ‘‘अमीर होते हुए भी और पैसा पाने की इच्छा जिसकी बनी रहे उसे मैं गरीब मानता हूं क्योंकि वह सदा पैसे का अभाव ही महसूस करता है। इसलिए अपनी अशॢफयां ले जाओ। मुझे इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।’’

इब्राहिम की बात सुनकर धनी व्यक्ति को अपनी सोच पर ग्लानि हुई और वह उनसे क्षमा मांग कर वहां से चला गया। अधिक से अधिक धन पाने की लालसा व्यक्ति को अमीर तो बना देती है किन्तु सुखी नहीं। सुख धन से नहीं, संतोष से आता है। अत: जीवन में हमें पैसे कमाने की दौड़ में लगातार नहीं दौडऩा चाहिए, बल्कि रुक कर अपनी आवश्यकताओं एवं अर्जित धन के बीच सामंजस्य बैठाना चाहिए। —दीनदयाल मुरारका


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Content Writer

Jyoti

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