Dharmik Katha: लक्ष्य रखना नहीं, प्राप्त करना जरूरी है

punjabkesari.in Wednesday, Sep 08, 2021 - 04:50 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सफलता पाने के लिए मैदान में उतर तो पड़े हैं लेकिन अपना निशाना या लक्ष्य भी तय कर लीजिए, तभी आप सफलता पाएंगे। यह कभी न सोचें कि अभी तो कार्य शुरू कर लेते हैं फिर देखेंगे कि कैसे करना है, कितना करना है।

यह उचित नहीं क्योंकि आप कहीं न कहीं अपनी जि मेदारी से बच रहे हैं। जब लक्ष्य  पहले से तय होगा, तो आप उसे पाने का प्रयत्न करेंगे। चूक जाने पर फिर से प्रयत्न करेंगे। ‘लक्ष्य’ क्या रहेगा, इसका फैसला बहुत सोच-समझ कर करें और जब फैसला कर लें तो किसी भी हालत में पीछे न हटें।

यह भी तय करें कि लगातार प्रयास करने के लिए आपके पास कितना समय है, असफल होने पर किन चरणों को पुन: नए सिरे से आजमाएंगे। अपनी योग्यता और क्षमता का भी आंकलन कर ले तथा सोच-विचार कर सलाहकारों से बातचीत कर लें और जुट जाएं।

लक्ष्य स्पष्ट भी होना चाहिए। मान लीजिए आपने तय किया है ‘व्यवसाय के क्षेत्र में आगे बढ़ना है लेकिन व्यवसाय का क्षेत्र तो बहुत विशाल है। वहां आप किस दिशा में जाना चाहते हैं। स्पष्ट करें क्या व्यवसाय करेंगे, डीजल इंजन की फैक्टरी लगाएंगे किसी नामचीन क पनी की एजैंसी लेंगे, ठेकेदारी करेंगे आदि। ऐसे तयशुदा लक्ष्य ही सही तरह से ठीक बैठते हैं। जो लक्ष्य स्पष्ट होते हैं वह चाहे मुश्किल से बैठें, चाहे आसानी से लेकिन बैठ जाते हैं।

जो लक्ष्य काफी ऊंचा है जिसे आप ठीक से देख न समझ भी नहीं पा रहे हैं और उसे बैठाना चाहते हैं तो बताइए यह कैसे संभव है। लक्ष्य रखना काफी नहीं है, उसे प्राप्त करना चाहिए। 


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Content Writer

Jyoti

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