इस प्रसंग से जानें क्या है आयु की महत्व
punjabkesari.in Wednesday, Jul 01, 2020 - 07:11 PM (IST)
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हुसैन नामक एक बड़ा जौहरी था। एक समय वह व्यापार हेतु रामनगर गया। वहां उसकी मित्रता देश के मंत्री से हो गई। एक दिन मंत्री के साथ वह भ्रमण पर निकला था तो रास्ते में उसे एक विशाल तंबू नजर आया और एक सुसज्जित सेना उस तंबू की परिक्रमा कर रही थी, फिर क्रमश: श्वेत वस्त्र पहने विद्वान पुरुष, दो-तीन सौ सेवक जवाहरात भरे थाल के साथ और फिर अंत में राजा आए और ये सब भी परिक्रमा करके चले गए। जौहरी ने मंत्री से इस अद्भुत लगने वाली घटना के बारे में जिज्ञासा की तो मंत्री ने बताया कि राजा का एक अत्यंत गुणवान पुत्र था।
राजा उससे अत्यधिक स्नेह करता था। अकस्मात् उसका निधन हो गया। इस तंबू में उसकी कब्र बनी है। प्रतिवर्ष राजकुमार की मृत्यु-तिथि के दिन राजा सेना व परिवार सहित यहां आता है और प्रदक्षिणा करके लौट जाता है। हुसैन ने मंत्री से पूछा, ‘‘तो क्या राजा अपने पुत्र की कब्र पर कुछ चढ़ाता नहीं।’’
मंत्री ने उत्तर दिया, ‘‘नहीं! इस पूरे प्रयोजन का उद्देश्य मात्र इतना है कि आत्मा की अमरता के समक्ष सेना की वीरता, विद्वानों का ज्ञान और पूरे राज्य की धन-सम्पत्ति सब व्यर्थ है। ये सब देकर भी मनुष्य आयु नहीं प्राप्त कर सकता।’’
यह सुनकर हुसैन के मन में तीव्र वैराग्य उत्पन्न हुआ और वह सब छोड़कर भगवद् भजन में निरत हो गया।