सत् और सम की प्रतीक है मानस गीता: मुरारी बापू

punjabkesari.in Friday, Nov 25, 2022 - 07:35 AM (IST)

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Shri Ram Katha Manas Geeta: महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के सान्निध्य एवं गीता ज्ञान संस्थानम् के तत्वावधान में मेला ग्राऊंड, कुरुक्षेत्र में आयोजित की जा रही श्री मुरारी बापू द्वारा श्री राम कथा मानस गीता का शुभारम्भ हनुमान चालीसा के पाठ के साथ किया गया। कथा से पहले गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री राम कथा के साथ गीता के महत्व पर प्रकाश डाला।

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कथा पर संवाद करते हुए मुरारी बापू ने श्री राम कथा मानस गीता को आधार बनाकर विशेष रूप से श्रीमद्भगवद् गीता की बात करते हुए इसके अनुसार जीवन जीने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं कुरुक्षेत्र की धरा पर ही दिया।

प्रत्येक व्यक्ति को गीता पाठ अवश्य करना चाहिए। वह स्वयं पिछले 70 वर्षों से नियमित गीता पाठ करते हैं। उन्होंने कहा कि अदालत में गीता को हाथ में रखकर कसम दिलाई जाती है, लेकिन गीता को हाथ में रखने की नहीं, हृदय में उतारने की आवश्यकता है। श्रीमद्भगवद् गीता ब्रह्मसूत्र है, इतना ही नहीं यह भगवान की दिव्य वाणी है।

कथा के अंत में मुरारी बापू ने राम चरित मानस और गीता को समबद्ध करते हुए मानस गीता को सत् और सम का प्रतीक बताया।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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