अनोखा मंदिर, जो भगवान नहीं बंदरों के नाम से है मशहूर

punjabkesari.in Friday, Jul 18, 2025 - 04:00 AM (IST)

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Monkey Temple Jaipur Rajasthan: राजस्थान में बसे जयपुर का असली नाम जयनगर था। जिसे महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1727 में बसाया था। 1876 में तत्कालीन ब्रिटिश शासक ने इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगवाया था। तभी से पिंक सिटी (गुलाबी शहर) के नाम से जाना जाने लगा। जयपुर को पूर्व का वेनिस, हेरिटेज सिटी, पन्ना/रत्न नगरी, वैभव का द्वीप, रंग श्री का द्वीप, शान का द्वीप, और आइलैंड ऑफ़ ग्लोरी जैसे नामों से भी जाना जाता है।

Galta Monkey Temple In Jaipur
पिंक सिटी के नाम से विख्यात जयपुर में घूमने के लिए आमेर किला, जयगढ़ किला, सिटी पैलेस, जंतर-मंतर, हवा महल, नाहरगढ़ किला, अलबर्ट हाॅल, सिसोदिया रानी महल और स्टेचू सर्किल जैसे प्रसिद्ध स्थान हैं। झील और किलों के अलावा आप यहां मंदिरों में भी दर्शन कर सकते हैं। जयपुर में बहुत से मंदिर होने के कारण इसे छोटी काशी भी कहा जाता है। यहां जगत शिरोमणि मंदिर, गोविंद देव जी मंदिर,  बिरला मंदिर (लक्ष्मीनारायण मंदिर), गढ़ गणेश मंदिर, गलताजी मंदिर और मोती डूंगरी गणेश मंदिर आदि में दर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा सिटी पैलेस के अंदर बना भगवान कृष्ण का मंदिर भी घूमने के लिए काफी मशहूर है।

Galta Monkey Temple In Jaipur
गलताजी मंदिर भी प्रमुख मंदिरों में से एक है। जयपुर के 10 किलोमीटर पूर्व में अरावली पहाड़ियों में स्थित एक प्राचीन हिंदू तीर्थ स्थल है। जोकि चारों तरफ से दुस्तर इलाके में निर्मित है। प्राकृतिक झरने और पवित्र कुंड मंदिर की शोभा में चार चांद लगाते हैं। यहां पर अत्यधिक संख्या में बंदर पाए जाते हैं इसलिए यह मंदिर ‘बंदरों के मंदिर’ के नाम से भी विख्यात है। यहां प्रकृति के खूबसूरत नजारों को भी देखा जा सकता है।

Galta Monkey Temple In Jaipur
गलताजी मंदिर संत गालव की तपोभुमी है। उन्होंने यहां लम्बें अर्से तक तप किया था। रामानंद जी की भक्तिमान आज्ञा पर भगवान श्री कृष्णचन्द्र के बहुत से अनुयायी इस मंदिर में उनकी बाल लीलाओं के चित्रों की नक्काशी के दर्शनों के लिए आते हैं।

Galta Monkey Temple In Jaipur
गुलाबी रंग के बलुआ पत्थरों से बना यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है। जोकि अद्भुत कारीगरी का दृष्टांत है। सवाई जय सिंह द्वितीय के सेवक दीवान कृपाराम ने इस मंदिर को बनवाने के विषय में सोचा। अठारहवीं सदी में दीवान कृपाराम ने यहां अनेक गठन कराए। मंदिर परिसर के पूर्वी हिस्से की वास्तुकला बहुत ही आनंददायक है। यहां एक प्राकृतिक जलधारा गौमुख से सूरज कुण्ड में गिरती है। गोमुख के स्रोत वाले तीन जल प्रवाह किसी को भी अपने आकर्षण में बांध लेते हैं। 

Galta Monkey Temple In Jaipur
जब इस मंदिर का निर्माण हुआ उस समय के सामाजिक मानदंड इसके अनुरूप थे। पुरुषों और महिलाओं के स्नान करने के लिए अलग-अलग घाटों का निर्माण हुआ है। सबसे नीचे स्थित जल धारा हनुमान जी को समर्पित है। मकर संक्रांति, सावन और कार्तिक मास पर यहां बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगता है और वह पवित्र जल में स्नान करते हैं। 

Galta Monkey Temple In Jaipur

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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