आज इन मंत्रों से करें श्री हरि की आराधना, मिलेगा उत्तम फल

punjabkesari.in Saturday, Dec 03, 2022 - 04:13 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हर महीने में दो एकादशी के व्रत आते हैं। एक शुक्ल व दूसरी कृष्ण पक्ष की एकादशी। शास्त्रों के अनुसार हर एक जातक को दोनों पक्षों की एकादशी का पालन करना चाहिए। कहते हैं कि जो लोग शुक्ल व कृष्ण पक्ष की एकादशी को अलग मानते हैं। वे पाप के भागीदार बनते हैं। बता दें कि इस बार मोक्षदा एकादशी का व्रत 03 दिसंबर को यानि आज पड़ रहा है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मोक्षदा एकादशी का तात्पर्य है मोह का नाश करने वाली। इसलिए इसे मोक्षदा एकादशी कहा गया है।
PunjabKesari
शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। मान्यता के अनुसार द्वापर युग में इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञान दिया था। अत: इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी के दिन मानवता को नई दिशा देने वाली गीता का उपदेश हुआ था। मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का जो व्रत करते हैं। उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। कलयुग में इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला और कोई व्रत नहीं है। आज हम आपको इस व्रत की विधि व महत्व के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। तो सबसे पहले जानते हैं इसकी पूजा विधि के बारे में-

मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण, महर्षि वेद व्यास और श्रीमद् भागवत गीता का पूजन किया जाता है।  व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि को दोपहर में एक बार भोजन करना चाहिए। ध्यान रहे रात्रि में भोजन न करें। एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें। और व्रत का संकल्प लें। व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें। उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें। वहीं रात्रि में भी पूजा और जागरण जरूर करें। एकादशी के अगले दिन द्वादशी को पूजन के बाद जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन व दान-दक्षिणा देनी चाहिए।और इसके बाद ही भोजन ग्रहण करके व्रत खोलना चाहिए। 

इसके अलावा इस दिन इनके कुछ मंत्रों का जप करना भी बेहद लाभदायक माना जाता है- 

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
PunjabKesari
1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें
PunjabKesari

विष्णु गायत्री मंत्र

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

श्री विष्णु मंत्र

मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।

मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥

विष्णु के पंचरूप मंत्र

ॐ अं वासुदेवाय नम:

ॐ आं संकर्षणाय नम:

ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:

ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:

ॐ नारायणाय नम:

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
PunjabKesari
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

लक्ष्मी विनायक मंत्र

दन्ताभये चक्र दरो दधानं,

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

एकादशी व्रत का महत्व-
मोक्षदा एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। और उन्हें कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है। तो वहीं इस व्रत को करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अजुर्न को गीता का संदेश दिया था। इसलिए इस उपलक्ष्य में मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद् भागवत गीता एक महान ग्रंथ है। गीता ग्रंथ सिर्फ लाल कपड़े में बांधकर घर में रखने के लिए नहीं है। बल्कि उसे पढ़कर उसके संदेशों को ग्रहण करने के लिए है। भागवत गीता के चिंतन से अज्ञानता दूर होती है। और मनुष्य का मन आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है। इसे पढ़ने और सुनने से जीवन को एक नई प्रेरणा मिलती है। वहीं इस दिन श्रीमद् भागवत गीता, भगवान श्रीकृष्ण।और महर्षि वेद व्यास का विधिपूर्वक पूजन करके गीता जयंती उत्सव मनाया जाता है।
PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News