मीराबाई के 12वीं पीढ़ी के वंशज करते हैं उनके इस प्रसिद्ध मंदिर की देखरख, बेहद खास है ये स्थल

punjabkesari.in Friday, Dec 10, 2021 - 11:52 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

जब भी वृंदावन की बात होती है तो श्री कृष्ण के साथ राधा रानी का नाम लिया जाता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि वृंदावन का एक ऐसा भी स्थान है जो राधा रानी के कारण नहीं बल्कि मीरा बाई के नाम से प्रसिद्ध है। धार्मिक ग्रंथों में किए वर्णन के अनुसार मीरा बाई श्री कृष्ण की ऐसी दीवानी व भक्त थीं, जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण की भक्ति के लिए राजपाट सब त्याग दिया था। आज हम उन्हीं मीरा के ऐसे धार्मिक स्थल से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जो वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है
PunjabKesari, Lord Krishna and Radha, Devotion of Meerabai, Bhajan of Meera bai, Queen of Chittorgarh, वृंदावन में मीराबाई मंदिर
दरअसल ये मंदिर निधिवन राज मंदिर के निकट गोविंद बाग मुहल्ले में स्थित मीराबाई मंदिर के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। कहा जाता है इस मंदिर में आने वाले प्रत्येक भक्त के मन में श्री कृष्ण भक्ति उमड़ आती है। मंदिर में चारों और हरियाली से आच्छादित मंदिर के बीच में चलते फव्वारे से सादगी बरसती है। प्रांगण में दायीं ओर उनकी भजन कुटिया स्थित है, जो आज भी श्याम के रंग में रंगी हुई प्रतीत होती है। कहा जाता है यहां लगे मीरा बाई जी के चित्र भक्तों को उनके भजन गुनगुनाने को मज़बूर कर देते हैं। 

मंदिर में सेवायत प्रद्युम्न प्रताप सिंह जी द्वारा बताया गया कि श्री कृष्ण की भक्ति की दीवानी मीरा बाई जी के इस मंदिर में किसी प्रकार का चढ़ावा नहीं चढ़ाया जाता है। यहां आने वाले भक्त केवल प्रेम को अर्पण करते हैं और मीरा बाई जी के दर्शन करके भक्तिमय हो जाते हैं। 
PunjabKesari, Lord Krishna and Radha, Devotion of Meerabai, Bhajan of Meera bai, Queen of Chittorgarh, वृंदावन में मीराबाई मंदिर
इस मंदिर की सबसे विशेष बात ये है कि यहां एक खास प्रकार का पानी का फव्वारा है। मंदिर के सेवायत द्वारा बताया जाता है कि जब मीरा बाई को यहां लाया गया था तो यहां कुल 6 फुव्वारोे लगाए गए थे, जिसमे से वर्तमान समय में केवल एक यही फव्वारा शेष है। इसके अलावा मंदिर के सेवायत प्रद्युम्न प्रताप सिंह द्वारा बताया जाता है कि ये मंदिर का देश का दूसरा सबसे प्रसिद्ध व प्राचीन मीराबाई मंदिर है। जहां पैसों का कोई स्थान नहीं है। बल्कि इस मंदिर में केवल प्रेम को सर्वप्रथम माना जाता है। यही कारण है कि इस मंदिर से कोई ट्रस्ट संबंधित नहीं है। बता दें मंदिर में सेवायत प्रद्युम्न प्रताप सिंह जी मीरा बाई जी की 12वीं पीढ़ी के वंशज है, जो बताते हैं कि ये मंदिर केवल भक्त के प्रेम व सच्ची भक्ति के लिए है, न कि ट्रस्ट और पैसों के लिए। 
PunjabKesari, Lord Krishna and Radha, Devotion of Meerabai, Bhajan of Meera bai, Queen of Chittorgarh, वृंदावन में मीराबाई मंदिर
यहां जानें मंदिर के जुड़ी अन्य जानकारी- 
गर्भगृह की बात करें तो यहां श्री कृष्ण और बायीं दिशा में राधा और दाहिनी ओर मीरा का विग्रह है। नीचे सिंहासन पर राधा रानी का मनोहर का उत्सव विग्रह और संग में लाठी रखी है। इसके अलावा मंदिर में मीरा बाई के शालिग्राम विग्रह, तथा राणा ने मीरा बाई को मारने के लिए फूलों की टोकरी में सर्प भेजा था, वह भी शालिग्राम के रूप में मंदिर में विराजमान हैं। 

यहीं किए थे जीव गोस्वामी ने मीरा के दर्शन
धार्मिक कथाओं के अनुसार मीरा बाई जब गौड़ीय संत जीव गोस्वामी के दर्शन को गईं तो जवाब आया कि वे स्त्रियों से नहीं मिलते। जब मीरा बाई ने पुन: प्रश्न पूछा कि ब्रज में तो पुरुष एकमात्र श्रीकृष्ण हैं और शेष उनकी सहचरियां हैं। आप कृष्ण के अलावा कौन अन्य पुरुष यहां आ गए। इस प्रश्न से जीव गोस्वामी को भावात्मक अनुभूति मिली। तब वह मीरा के दर्शन करने को मंदिर में आए।

PunjabKesari, Lord Krishna and Radha, Devotion of Meerabai, Bhajan of Meera bai, Queen of Chittorgarh, वृंदावन में मीराबाई मंदिर
मंदिर के सेवायत द्वारा बताई गई पौराणिक मान्यता व कथा के अनुसार आज से लगभग करीब 500 वर्ष पहले चित्तौडग़ढ़ की महारानी मीराबाई वृंदावन आईं थी। हमारे पूर्वज उन्हें यहां लाए। उन्होंने मीरा को संपूर्ण ब्रज का भ्रमण कराने के बाद पूछा कि कहां निवास करेंगी?  तब उन्होंने खुद ही इस स्थल का चयन इसलिए किया कि एक ओर ठा. बांकेबिहारी की प्राक्ट्य स्थली निधिवन राज मंदिर है, दूसरी ओर राधा दामोदर और तीसरी ओर कल-कल बहती यमुना महारानी। उससे पहले हित हरिवंशजी महाप्रभु का रासमंडल है। बता दें इसके पीछे गोविंद देव का मंदिर भी है। ऐसा कहा जाता है कि यह स्थल गोविंद देव का बगीचा था, इसलिए इसे गोविंद बाग के नाम से जाना जाका था। कहा जाता है कि मीराबाई ने इसी जगह पर अपनी भजन स्थली बनाई।  बताया जाता है लगभग 15 वर्ष वृंदावन में रहने के दौरान सेवायत के पूर्वज बख्श सिंह को शालिग्राम का विग्रह देकर वह द्वारिका चली गईं। बीकानेर के राज दीवान ठाकुर रामनारायण सिंह ने संवत 1898 में इस मंदिर का निर्माण राजस्थानी शैली में कराया।
PunjabKesari, Lord Krishna and Radha, Devotion of Meerabai, Bhajan of Meera bai, Queen of Chittorgarh, वृंदावन में मीराबाई मंदिर
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News