Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर धरती पर आते हैं पितर, जीवन में खुशहाली के लिए इस जगह ज़रूर जलाएं दीपक

punjabkesari.in Wednesday, Jan 29, 2025 - 10:55 AM (IST)

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Mauni Amavasya 2025: साल 2025 में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी, इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है। मौनी अमावस्या पर लोग अपने कुल और पितृ देवताओं को खुश करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार हर अमावस्या पर पितृ स्वर्ग से धरती साक्षात रूप में प्रकट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन वंशजों द्वारा किए गए छोटे-छोटे कार्य पितरों को तृप्त करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन पितरों के नाम का दिया जलाना बेहद शुभकारी माना जाता है। तो चलिए जानते हैं मौनी अमावस्या के दिन पितरों के लिए दीपक कब और कहां जलाएं -

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मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन पितृ गण धरती पर आते हैं और सूर्यास्त होने पर वे अपने लोक वापस लौटते हैं। पितृ लोक लौटते समय उनके रास्ते में अंधेरा न हो, इस वजह से ही पितरों के लिए दीप जलाते हैं,इससे वे खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। पितरों के आशीर्वाद से सुख, शांति, समृद्धि, धन, दौलत, वंश, यश, कीर्ति आदि की प्राप्ति होती है। 

पितृ अमावस्या पर दीपक कैसे जलाना चाहिए-
मौनी अमावस्या पर आप मिट्टी का एक दीपक लें, उसे पानी से साफ करके सूखा लें। सायं काल में सरसों का तेल भरकर दीपक में एक रुई के फूल बत्ती लगाएं और भगवान विष्णु स्तुति करके अपने पितर देवताओं का स्मरण करते हुए दीपक को जलाएं और पीपल के परिक्रमा करके अपने पितृदेव को बताएं कि "हे पितृ देव आपको स्वर्ग लोक में सकुशल लौटने के लिए दीपक को प्रज्वलित किया गया है, जिस प्रकार से आपके स्वर्ग लोक के रास्ते में इस दिए से उजाला हुआ है उसी प्रकार हमारे जीवन के अंधेरे को भी प्रकाशमय होने का आशीर्वाद दें। 

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मौनी अमावस्या के दिन आपके पितरो के लिए पीपल वृक्ष के नीचे या अपने घर के दक्षिण में दिशा दीपक जलाएं। इसके साथ ही कुछ दीपक भगवान विष्णु के समक्ष ज़रूर जला दें। इससे पितृ देव खुश होकर वापिस लौटते हैं और कुशलता, सुख व समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

मौनी अमावस्या के दिन पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए पितरों का स्मरण करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करें। लोटे में जल में काले तिल और लाल फूल मिलाकर सूर्यदेव को अर्पण करें। 

इस दिन पीपल के पेड़ पर सफेद मिठाई चढ़ाएं और 108 बार परिक्रमा करें... इस उपाय को करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। 

इसके अलावा माघ मास अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद काले तिल का दान करें। ऐसा करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। 

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Content Editor

Prachi Sharma

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