Margashirsha Month 2025: आरंभ होने वाला है श्रीकृष्ण का प्रिय मार्गशीर्ष माह, पढ़ें पूरी Information

punjabkesari.in Wednesday, Nov 05, 2025 - 02:15 PM (IST)

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Margashirsha Month 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास (Margashirsha Maas) नौवां चंद्र मास है, जिसे अगहन, अग्रहायण और मगसर भी कहा जाता है। यह महीना अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस मास में किए गए स्नान, दान और दीपदान से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

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श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं – “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात “मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं।”

इससे स्पष्ट होता है कि यह महीना देवताओं में भी सर्वश्रेष्ठ स्थान रखता है। यह समय आध्यात्मिक साधना, भक्ति और आत्मशुद्धि का काल माना गया है।

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Margashirsha Maas Start and End Date मार्गशीर्ष मास 2025 कब से शुरू होगा? 
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास 2025 की शुरुआत 6 नवंबर, गुरुवार से होगी। यह शुभ महीना 4 दिसंबर 2025, गुरुवार को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन से मार्गशीर्ष मास का आरंभ होता है। इस अवधि में सूर्यदेव वृश्चिक राशि में रहते हैं और चंद्रमा की पूर्णता का काल आध्यात्मिक रूप से अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। इस पूरे महीने में जप, तप, दान, ध्यान और गंगा स्नान से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।

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Deities to Worship in Margashirsha Maas इस महीने में किन देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए 
मार्गशीर्ष मास में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण, माता लक्ष्मी, तुलसी जी और चंद्रदेव की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण: प्रतिदिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें। श्रीमद्भगवद्गीता के पाठ से जीवन में ज्ञान, शांति और वैराग्य की वृद्धि होती है।

माता लक्ष्मी: मार्गशीर्ष में मां लक्ष्मी की आराधना से घर में धन, ऐश्वर्य और सौभाग्य स्थायी रूप से बढ़ता है। शुक्रवार को विशेष पूजन करें।

तुलसी जी: तुलसी विवाह के बाद तुलसी पूजन का विशेष महत्व होता है। प्रतिदिन तुलसी पर जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं।

चंद्रदेव: मार्गशीर्ष पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति और रोगों से मुक्ति मिलती है।

Spiritual Significance of Margashirsha Maas मार्गशीर्ष मास में स्नान, दान और दीपदान का धार्मिक महत्व
पवित्र स्नान: सूर्योदय से पूर्व गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। यदि नदी स्नान संभव न हो तो घर पर जल में तुलसी पत्र डालकर स्नान करें और ‘ॐ नमो भगवते नारायणाय’ का जाप करें।

दीपदान: प्रत्येक संध्या तुलसी के पौधे और मंदिर में दीपक अवश्य जलाएं। यह कर्म घर में सकारात्मक ऊर्जा और दिव्यता लाता है।

दान: मार्गशीर्ष में अन्न, वस्त्र, गुड़, तिल, कंबल और दीपदान का विशेष पुण्य बताया गया है। इससे दरिद्रता दूर होती है और स्वर्ग के द्वार खुलते हैं।

Religious Significance मार्गशीर्ष मास का धार्मिक और पौराणिक महत्व
पुराणों के अनुसार, मार्गशीर्ष मास भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। कहा जाता है कि इसी मास में सतयुग का प्रारंभ हुआ था। इस महीने में साधक यदि श्रद्धा और भक्ति से पूजा करता है तो उसे दिव्य आशीर्वाद और मोक्ष प्राप्त होता है। यह मास आत्मशुद्धि, मनोबल और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है। जो व्यक्ति इस काल में ध्यान, जप और सेवा कार्य करता है, उसका जीवन प्रकाश से भर जाता है। यह महीना वास्तव में ईश्वर से जुड़ने और आत्मिक शांति प्राप्त करने का सर्वोत्तम अवसर है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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