स्त्रियों के लिए ही नहीं, पुरुषों के बारे में भी जानकारी देती है मनुस्मृति

punjabkesari.in Saturday, Jun 06, 2020 - 07:13 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जब भी मनुस्मृति की बात होती है लगभग हर किसी के दिमाग में सबसे पहले स्त्रियों का ख्याल आता है क्योंकि मनुस्मृति में ज्यादातर स्त्रियों के बारे में बताया गया। मगर बता दें इसका मतलब ये नहीं है कि इसमें पुरुषों से संबंधित कुछ नहीं बताया। कुछ लोगों को इसके बारे में बिल्कुल जानकारी नहीं है। यही कारण है कि लोग अक्सर इसकी व्याख्या को गलत समझ लेते हैं, जिस वजह से इसके अर्थ अनर्थ में बदल जाते हैं। सबसे पहले तो हर किसी को ये बात समझने की ज़रूरत है कि मनुस्मृति ग्रंथ आखिर किस बारे और क्या है। असल में मनुस्मृति प्राचीन काल का एक ऐसा धर्मशास्त्र जिस स्मृति के नाम से भी जाना जाता है तो वहीं इस मानव-धर्म-शास्त्र, मनुसंहिता आदि जैसे नामों से जाना जाता है। धर्मग्रन्थकारों ने मनुस्मृति को एक सन्दर्भ के रूप में स्वीकारते हुए इसका अनुसरण किया है।
PunjabKesari, Manusmriti, मनुस्मृति, मनु, Manu, Smriti, मनुसंहिता, Niti gyan, Niti Shastra, Niti Gyan, Hindu Shastra, Hindu Dharm, Hindu Religion
आइए जानते हैं ऐसी बातें जो स्त्रियों से नहीं बल्कि पुरुषों से भी जुड़ी हुई है-
कहा जाता जिस समाज में पुरुष स्त्रियों का आदर-सम्मान नहीं करते  उनके घर में कभी देवता अर्थात दिव्यगुण और सुख-समृद्धि निवास नहीं करती, इतना ही नहीं उसके द्वारा किए गए सभी शुभ काम निष्फल हो जाते हैं।

इसके अलावा जिस घर के पुरूषों का आचरण महिलाओं के प्रति अच्छा नहीं होता, उनके संपूर्ण कुल का विनाश होता है। तो वहीं इसके विपरीत जिस घर में पति अपनी पत्नी के प्रति वफ़ादार होता है तो उसका कुल सर्वदा बढ़ता जाता है।  

कहा जाता जब लड़की मां के घर में रहती है, तो भी पराए घर की ही कहलाती है और जब लड़की पति के घर जाती है तो सास उसे पराए घर से आई मानती है। ऐसा कहा जाता है ऐसा सोचने वाले लोग ही समाज को तोड़ने वाले माने जाते हैं। इन्हें “घटिया” लोगों की गिनती में भी शामिल किया जाता है।
PunjabKesari, Manusmriti, मनुस्मृति, मनु, Manu, Smriti, मनुसंहिता, Niti gyan, Niti Shastra, Niti Gyan, Hindu Shastra, Hindu Dharm, Hindu Religion
मनुस्मृति के अनुसार पिता, भाई, पति या देवर को अपनी कन्या, बहन, स्त्री या भाभी को हमेशा यथायोग्य मधुर- भाषण, भोजन, वस्त्र, आभूषण आदि से प्रसन्न रखना चाहिए और उन्हें किसी भी प्रकार का क्लेश नहीं पहुंचने देना चाहिए। 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News