Makar Sankranti 2020: इस पर्व से जुड़ी इन खास बातों को नहीं जानते होंगे आप
punjabkesari.in Wednesday, Jan 08, 2020 - 12:31 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2020 को मनाया जाएगा। इस खास पर्व पर शास्त्रों में बहुत अधिक महत्व होता है। देश के हर एक कोने में इसे अलग-तरीकों से मनाया जाता है। वैसे तो हर माह में आने वाली संक्रांति का अपना महत्व होता है, लेकिन माघ महीने की संक्रांति तिथि अपने आप में ही अलग महत्व रखती है। इस दिन जप, तप और दान का विशेष महत्व होता है। आज हम आपको इसके साथ जुड़ी कुछ मान्यताओं के बारे में बताने जा रहे हैं।
शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है और इसी कारण से इस त्योहार को मकर संक्रांति कहा जाता है।
Follow us on Twitter
कहीं -कहीं इसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल मकर संक्रांति से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण दिशा में चलने लगते हैं। भारतीय संस्कृति में सूर्य के दक्षिणायन को नकारात्मकता तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन भागीरथ की तपस्या से मां गंगा पृथ्वी में आकर सागर में मिली थीं। इस दिन वैसे तो किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं लेकिन गंगा स्नान का महत्व अधिक होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भीष्म पितामह ने प्राण त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन देह त्यागने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पोंगल का त्योहार भी फसल और किसानों का त्योहार होता है। पोंगल का अर्थ होता है उबालना। दक्षिण भारत में गुड़ और चावल उबालकर सूर्य को प्रसाद के नाम से अर्पण किया जाता है और जिसे पोंगल कहते हैं।
मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है।
उत्तर भारत में मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है तथा इस दिन खिचड़ी खाने एवं खिचड़ी का दान देने की परंपरा प्रचलित है।
भारत में मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी की जाती है। बहुत से स्थानों पर पतंग उड़ाकर इस पर्व को मनाया जाता है।