Mahatma Gandhi story: विचार करें, महात्मा गांधी क्या वाकई जगत के बापू थे

punjabkesari.in Wednesday, Dec 28, 2022 - 10:40 AM (IST)

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Mahatma Gandhi story: यह उन दिनों की बात है, जब गांधी जी साबरमती आश्रम में रहा करते थे। आश्रम के अपने नियम थे, जिनका पालन निर्बाध गति से चला करता था। आश्रम की व्यवस्था चाक-चौबंद थी और सुरक्षा के सारे बंदोबस्त थे। इसके बावजूद एक रात कोई चोर आश्रम में घुस आया। आश्रम में हर समय ही कोई न कोई जागा ही रहता था, तो चोर को फौरन ही पकड़ लिया गया। आश्रम के व्यवस्थापक ने रात में गांधी जी को परेशान करना उचित न समझा। सुबह जब गांधी जी नाश्ता कर सब कामों का जायजा लेने बैठे, तब उन्हें उस चोर की जानकारी दी गई।

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गांधी जी ने तुरन्त ही उस चोर से मिलने की इच्छा प्रकट की। जब तक चोर लाया गया, तब तक गांधी जी ने यह विचार कर लिया कि आश्रम की सुरक्षा व्यवस्था से सभी परिचित हैं, तब भी यदि कोई व्यक्ति यहां चोरी करने की नीयत से घुस आया, तो शायद वह बहुत ही जरूरतमंद होगा।

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इसी समय आश्रम के व्यवस्थापक चोर को लेकर उपस्थित हुए। गांधी जी ने चोर की तरफ देखा, सूखा चेहरा, उजड़ा तन-मन, घोर दरिद्रता की मूर्ति सामने खड़ी थी। बिना क्षण गंवाए गांधी जी ने उससे पूछा- ‘बेटा, तुमने नाश्ता किया?’

गांधी जी की बात सुनकर वह चोर रो पड़ा और बापू कहता हुआ उनके चरणों में गिर पड़ा। वास्तव में भूख से मजबूर होकर ही वह चोरी करने निकला था। गांधी जी ने सबसे पहले उसे नाश्ता कराया।

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आश्रम के सभी लोग इस घटना से हतप्रभ रह गए। व्यवस्थापक ने कहा कि बापू, हम तो उसे चोर मानकर चल रहे थे, इसीलिए हमारे मन में आया ही नहीं कि इसे भूख लगी होगी। हमने तो यह माना कि यह केवल दंड पाने का अधिकारी है, पर आपने उसमें भी इंसान देख लिया, इंसान का दुख देख लिया। आप वाकई जगत के बापू हैं।
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Content Writer

Niyati Bhandari

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