Mahatara Jayanti: जानें, कैसे हुई महातारा की उत्पत्ति और क्यों कहा जाता है उन्हें नीला तारा

punjabkesari.in Friday, Apr 04, 2025 - 06:30 AM (IST)

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Mahatara Jayanti 2025: हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह में आने वाले शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महातारा जयंती के पर्व मनाया जाता है। मां महातारा दस महाविद्या में से शक्ति का उग्र व आक्रामक रूप हैं। देवी तारा को सूर्य प्रलय की अधिष्ठात्री देवी का उग्र रूप कहा गया है। देवी तारा को तारिणी विद्या के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन तंत्र-मंत्र से पूजा करके देवी को खुश किया जाता है। देवी तारा शक्ति स्वरूपा हैं। जब उनका कोई भक्त चारों तरफ निराशा से घिर जाता है, तब मां उनकी मदद करने के लिए अवश्य आती हैं।

Mahatara Jayanti

How Goddess Mahatara originated कैसे हुई देवी महातारा की उत्पत्ति: पृथ्वी की उत्पत्ति से पहले जब चारों और अंधकार फैला हुआ था। उस समय अंधकार की देवी मां काली थी तब घोर अंधकार से एक प्रकाश की किरण उत्पन्न हुई, जिन्हें तारा कहा गया। मां तारा अक्षोभ्य नाम के ऋषि पुरुष की शक्ति हैं, ब्रह्मांड में जितने भी पिंड हैं, सभी की स्वामिनी देवी तारा ही मानी जाती हैं। देवी की उत्पत्ति पृथ्वी की उत्पत्ति के समय हुई इसलिए उन्हें महातारा भी कहा जाता है। सौंदर्य और रूप ऐश्वर्य की देवी तारा मोक्ष की प्राप्ति के लिए सहायक मानी जाती हैं।

Mahatara Jayanti

Why are they called Mahanila and Neel Tara क्यों कहा जाता है उन्हें महानीला व नीला तारा: एक किवदंती के अनुसार समुद्र मंथन के समय बहुत सारी चीजें बाहर निकली। जब विष बाहर आया तो देवताओं ने भगवान शिव के सामने मदद की गुहार की। तब भोलेनाथ ने विश्व कल्याण के लिए सारा विष पी लिया। उन्होंने इस विष को अपने कंठ में ही रोक लिया। मां भगवती ने अपने आराध्य की पीड़ा महसूस कर ली और विष के प्रभाव को कम करने के लिए मां भगवान शिव के शरीर में प्रवेश कर गई। इस वजह से देवी का रंग नीला हो गया और इस वजह से उनका नाम महानीला व नीलतारा पड़ा।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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