Mahashivratri 2019 : शिवरात्रि के दिन अगर आपको भी अचानक हो जाएं इनके दर्शन तो...

punjabkesari.in Friday, Mar 01, 2019 - 12:55 PM (IST)

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माना जाता है कि भोलेनाथ के भक्त वैसे तो हर दिन इनकी पूजा-अर्चना करते हैं और इनकी भक्ति में लीन रहते हैं। लेकिन कहते हैं महाशिवरात्रि के दौरान भोलेनाथ के भक्तों की भक्ति और जोश एक अलग ही ऊंचाई पर होता है। हिंदू धर्म के अलावा भगवान शंकर के इन भक्तों की सूची में सबसे पहले नाम आता अघोरियों का। कहते हैं कि अघोरी अपना सारा जीवन भोलेनाथ की भक्ति में व्यतीत कर देते हैं। आज हम आपको इन्हीं से जुड़ी एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आप में से कोई नहीं जानता होगा। तो आइए जानते हैं कि इनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें-
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जहां आम लोग लोग श्मशान, लाश, मुर्दे के मांस और कफ़न आदि से घृणा करते हैं वहीं अघोरी इन्हें अपनाते हैं। कहा जाता है कि अघोर विद्या मनुष्य को ऐसा बनाती है जिसमें वह अपने-पराए का भाव भूलकर हर व्यक्ति को समान रूप से चाहता है और उसे हर हालात में अपनाता है।
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ज्योतिष की मानें तो अघोरी बाबाओं के दर्शन अति दुर्लभ होते हैं। क्यों कि ये भगवान शंकर के अनन्य भक्त मान गए हैं, इसलिए कहा जाता है कि अगर किसी साधरण व्यक्ति को महाशिवरात्रि के दिन किसी अघोरी बाबा दिख जाए तो, समझ जाएं कि उसकी किस्मत चमकने वाली हैं। इसके अलावा ज्योतिष में कहा गया है कि अगर इस दिन इन्हें देखने के बाद एक काम तुंरत कर लिया जाए तो व्यक्ति का जीवन संवर जाता हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि इस दिन यानि महाशिवरात्रि के दिन अगर आपको भी कहीं अघोर दिख जाए तो आपको क्या करना चाहिए।
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इससे पहले कि हम आपको बताएं कि इनके दर्शन करने पर क्या करना चाहिए इससे पहले बता दें कि अघोरी को औघड़ भी कहा जाता है। आम लोग इन्हें डरावने खतरनाक साधु समझते हैं। तो ऐसे लोग जान लें कि हिंदू धर्म के मुताबिक अघोर का अर्थ होता है अ+घोर अर्थात जो घोर नहीं हो, डरावना नहीं हो, जो सरल हो और जिसमें कोई भेदभाव नहीं हो। तो वही ज्योतिष में कहा जाता है कि अघोर विद्या सबसे कठिन होती है परंतु तुंरत फल प्रदान करती है। बताया जाता है कि अघोर विद्या के साधक तंत्राधिपित महाकाल की साधना करते हैं। ये कभी भी किसी से भेदभाव नहीं करते बल्कि सबको समभाव से देखते हैं।
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कहा जाता है कि भारत में कुछ ऐसे प्रमुख तीर्थस्थल हैं जहां अघोर साधनाएं आज भी होती हैं, जहां इनके दर्शन करना आसान माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार अगर इनके दर्शन हो जाए तो तुरंत ही उनके चरणों में लेटकर श्रद्धापूर्वक प्रणाम करना चाहिए। कहते हैं अगर ये किसी को हाथ उठाकर आशीर्वाद दें देते हैं तो समझों उनका भविष्य और वर्तमान संवर जाता हैं।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महाकाल के उपासक अघोरपंथ के लोग भारत की भूमि में केवल चार स्थानों पर ही श्मशान साधना करते हैं।

इन चार स्थानों के अलावा ये लोग देवी मां के विभिन्न शक्तिपीठों, बगलामुखी, काली और भैरव के मुख्य स्थानों के पास के श्मशानों में भी साधना करते हैं।

कहां होती हैं सबसे ज्य़ादा अघोर साधनाएं-
तारापीठ- कोलकाता के तारापीठ शक्तिपीठ धाम को अघोर तांत्रिकों का तीर्थ माना जाता है।
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कामाख्या पीठ- असम के गुवाहाटी में स्थित भारत के सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ कामाख्या पीठ में भी सबसे ज्यादा अघोर तांत्रिकों को देखा जाता है।
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रजरप्पा शक्तिपीठ- कहा जाता है कि रजरप्पा में छिन्नमस्ता देवी का स्थान है, यहां अघोरी लोग सरल बनने की साधना करते हैं।

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चक्रतीर्थ- मध्यप्रदेश के उज्जैन का चक्रतीर्थ नामक स्थान और गढ़कालिका स्थान भी अघोर तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है।
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Jyoti

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