Mahashivratri: वास्तु अनुसार करें महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के इन रूपों की पूजा लेकिन थोड़ा संभल कर

punjabkesari.in Thursday, Feb 20, 2025 - 08:52 AM (IST)

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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा करना घर में समृद्धि और शांति लाने के लिए अत्यंत प्रभावी होता है। शिवलिंग की पूजा, नंदी की मूर्ति, त्रिशूल और डमरू की पूजा और रुद्र रूप की पूजा घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती है। इन सबका सही स्थान और दिशा में स्थापित करना वास्तु के अनुसार लाभकारी होता है और घर में सुख-समृद्धि का संचार करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान शिव की पूजा घर में करने से शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वास्तु में यह ध्यान रखना आवश्यक है कि भगवान शिव के रूप का चयन सही स्थान और दिशा के अनुसार किया जाए। यह ध्यान में रखते हुए यहां कुछ विशेष बातें दी जा रही हैं, जो वास्तु शास्त्र के गहरे पहलुओं पर आधारित हैं:

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शिवलिंग की पूजा (विशेष रूप से शिवलिंग का स्वरूप)
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में भगवान शिव का शिवलिंग स्वरूप विशेष महत्व रखता है लेकिन शिवलिंग का आकार और उसका स्थान बहुत ध्यान से चयनित करना चाहिए।

आकार: शिवलिंग को घर में छोटे और शुद्ध रूप में स्थापित करना चाहिए। बड़े और भारी शिवलिंग का उपयोग घर में न करें क्योंकि यह बहुत अधिक शक्ति उत्पन्न करता है और घर में भारी मानसिक दबाव भी डाल सकता है।

स्थान: शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करना श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि उत्तर दिशा में भगवान शिव का वास माना जाता है। इसके अलावा, इसे पूजा कक्ष में या घर के शुद्ध स्थान पर रखें।

साफ-सफाई: शिवलिंग की नियमित सफाई और जलाभिषेक करना बहुत महत्वपूर्ण है। जल का प्रवाह निरंतर बनाए रखें ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके।

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नंदी की मूर्ति की पूजा
भगवान शिव के साथ नंदी (शिव के बैल) का जुड़ाव भी महत्वपूर्ण होता है। नंदी को शिव का वाहन माना जाता है और वास्तु शास्त्र में यह सलाह दी जाती है कि नंदी की मूर्ति घर में प्रमुख स्थान पर रखें, खासकर मुख्य प्रवेश द्वार के पास।

दिशा: नंदी की मूर्ति का मुंह द्वार की ओर नहीं होना चाहिए क्योंकि यह घर में आने वाले सकारात्मक ऊर्जा को रोक सकता है। नंदी का मुंह घर के अंदर की ओर होना चाहिए, जिससे ऊर्जा का प्रवाह घर के अंदर बना रहे।

स्थान: नंदी की मूर्ति को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है। यह दिशा नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करती है और घर के सुरक्षा को बनाए रखती है।
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त्रिशूल और डमरू की पूजा
भगवान शिव के त्रिशूल और डमरू (ढोल) की पूजा घर में शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। त्रिशूल और डमरू की पूजा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक शक्ति का प्रवाह होता है।

स्थान: त्रिशूल और डमरू को दक्षिण-पूर्व दिशा (अग्नि तत्व) में रखने से घर में समृद्धि और सफलता आती है। ध्यान रखें कि इनकी पूजा करने से पहले आपको इनको साफ और पवित्र रखना चाहिए।

स्मरण: त्रिशूल का ध्यान और पूजा करने से घर में भगवान शिव की आशीर्वाद की शक्ति बढ़ती है, साथ ही यह शत्रुओं से सुरक्षा का प्रतीक भी बनता है।

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गणेश और शिव की संयुक्त पूजा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश और भगवान शिव की संयुक्त पूजा करना एक बहुत शुभ उपाय है। विशेष रूप से गणेश शिव की मूर्तियों का घर में रखना लाभकारी होता है।

स्थान: इन दोनों की मूर्तियों को पूजा कक्ष में रखें, जहां पर सूरज की रोशनी ठीक से आती हो। आप इन दोनों को एक साथ पूजा के स्थान पर रख सकते हैं, जिससे घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।

संतुलन: भगवान गणेश के साथ भगवान शिव का संयुक्त पूजा घर में समृद्धि का और हर प्रकार के संकट का निवारण करने का एक शक्तिशाली उपाय है।

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शिव के रूद्र रूप की पूजा
शिव के रुद्र रूप की पूजा भी घर में विशेष रूप से ध्यान देने योग्य होती है। रुद्र रूप में शिव का रूप अधिक क्रोधी और उग्र होता है, और यह नकारात्मक शक्तियों का नाश करने में सक्षम माना जाता है।

स्थान: रुद्र रूप की पूजा के लिए इसे घर के उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखें क्योंकि यह दिशा भगवान शिव की शक्ति को प्रसारित करने में मदद करती है। ध्यान रखें कि रुद्र रूप के साथ शांति और सकारात्मक ऊर्जा का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।

कृपा और प्रार्थना: इस रूप की पूजा करते समय ध्यान रखें कि मन में किसी प्रकार की नकारात्मक भावना न हो क्योंकि रुद्र रूप अत्यधिक शक्तिशाली होता है।

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नाग-यज्ञ और शिव पूजा
भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ नाग पूजा भी वास्तु में विशेष महत्व रखती है। यदि घर में किसी प्रकार की शत्रुता या समस्याएं चल रही हैं, तो नाग-यज्ञ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।

स्थान: नाग-यज्ञ को नाग देवता की मूर्ति के सामने किया जाता है। यह पूजा पूर्व या उत्तर दिशा में करना उत्तम माना जाता है।

नाग और शिव का संबंध: भगवान शिव के गले में नाग शोभायमान होते हैं, जो शक्ति और रक्षक के प्रतीक हैं। इस पूजा से घर के वातावरण में समृद्धि और शांति आती है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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