महाशिवरात्रि 2020: यहां जाकर मांगेंगे मुराद तो देवों के देव महादेव देंगे मनचाहा वरदान
punjabkesari.in Friday, Feb 07, 2020 - 04:49 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
21 फरवरी, 2020 को देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। जैसे दुनिया भर के लोगों के लिए दीवाली, दशहरा आदि त्यौहार बहुत मायने रखते हैं। ठीक वैसे ही महाशिवरात्रि का पर्व भी उनके लिए अधिक महत्व रखता है। होना लाज़मी भी है क्योंकि ये ये त्यौहार देवों के देव महादेव से जुड़ा हुआ है। और अब शायद किसी को ये बताने की ज़रूरत नहीं है कि हिंदू धर्म में इन्हें पूजनीय तो कहा ही जाता है साथ ही साथ शास्त्रों में इनके बारे में जो उल्लेख किया गया है उसके अनुसार ये हीं सृष्टि के रचयिता है और ये हीं आने वाले समय में जब कलियुग पर पाप बढ़ जाएगा विनाशक कहलाएंगे।
यही कारण है कि ये न केवल देवों के बल्कि दानवों के भी इष्ट माने जाते हैं। और आज के समय में न इनके भक्त न केवल दुनिया के किसी एक कोने में है बल्कि दुनिया भर में ‘बम बम भोले’ की धुनी में मग्न भक्त देखने को मिलते हैं। जगह-जगह इनके प्राचीन मंदिर व ज्योर्तिलिंग स्थापित हैं, जिनके दर्शन करने के लिए लोग विदेशों तक आते हैं। महाशिवरात्रि के इस खास पर्व पर हम आपको बताने जा रहे हैं भोलेनाथ के कुछ ऐसे ही मंदिरों के बारे में जो शिव जी सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल हैं।
केदारनाथ
भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में स्थित है। मान्यता है जिस तरह भगवान शिव को बहुत पसंद है ठीक उसी तरह से वे केदारनाथ धाम भी उनको अधिक प्रिय है। जो इसके महत्व को बढ़ाता है।
काशी विश्वनाथ
बनारस में स्थापित यह ज्योतिर्लिंग बाबा विश्वनाथ के नाम से जाना जाता है। माना जाता है भोलेनाथ के सभी धर्म स्थलों में काशी का सबसे अधिक महत्व है। मान्यता है कि जब प्रलय आने पर भगवान शिव काशी को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे।
सोमनाथ
कहा जाता है सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पुराना और पहला ज्योतिर्लिंग है। जो गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में है। शिवपुराण में किए वर्णन के अनुसार यहीं चंद्रमा को श्राप से मुक्ति मिली थी।
मल्लिकार्जुन
आंध्र प्रदेश में कृष्ण नदी के पास श्रीलैश पर्वत पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग बहुत प्राचीन है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
महाकालेश्वर
यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में स्थित है। यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। विश्व भर में प्रसिद्ध महाकाल की भस्मारती यही से आरंभ हुई है। मान्यता है कि महाकाल की पूजा करने से आयु से संकट टल जाते हैं।
बैजनाथ
यह ज्योतिर्लिंग झारखण्ड प्रदेश में स्थित है, जिसे 12 ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है।
भीमशंकर
महाराष्ट्र प्रांत के भीमा नदी के किनारे पर भीमशंकर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। जिस मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
नागेश्वर
गुजरात के द्वारिका नामक स्थान पर नागेश्वर धाम स्थित है। कहा जता है इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
घृष्णेश्वर
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में स्थित है। कहा जाता है ये भी भगवान शंकर के प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल है।
ओंकारेश्वर
ओंकारेश्वर धाम मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के समीप स्थित है। यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग हैं जो ॐ के आकार लिए हुए है यही कारण हैं कि इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
रामेश्वरम
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग चार धामों में से एक है। यह तमिलनाडु राज्य में स्थित है। ऐसी मान्यता है इस स्थान पर स्वयं भगवान राम ने ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। जिसके कारण इसका नाम रामेश्वरम पड़ा।
त्र्यंबकेश्वर
गोदावरी नदी के करीब नासिक जिले में यह ज्योतिर्लिंग स्थित है। मान्यता है कि गौतम ऋषि के आग्रह पर भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे।