Mahashivratri: शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि पर इस विधि से चढ़ाएं शिवलिंग पर बेलपत्र

punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2024 - 11:40 AM (IST)

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Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि के पहले ही भोलेनाथ के भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है। शास्त्रों के अनुसार फाल्‍गुन कृष्‍ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को शिव-पार्वती का विवाह हुआ था और इस को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा। ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन व्रत करने और शिव जी को उनकी प्रिय वस्‍तुएं चढ़ाने से भोलेबाबा अतिशीघ्र प्रसन्‍न हो जाते हैं। ऐसे में भोलेनाथ की सबसे प्रिय वस्तु मानी जाती है बेलपत्र। कहते हैं माता पार्वती ने स्वयं शिव जी की पूजा बेलपत्र से की थी इसलिए शिव जी को बेलपत्र बेहद प्रिय हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र कैसे चढ़ाएं ताकि आपकी सारी मनोकामनाएं तरंत ही पूरी हो जाएं तो आईए जानते हैं-

PunjabKesari Mahashivratri Belpatra

भगवान शंकर को वही बेलपत्र अर्पित करें जो खंडित न हो। ऐसे में बिना कटे-फटे 11 या 21 बेलपत्र चुनकर साफ पानी से धोकर रख लें। उसके बाद एक पात्र में गाय का शुद्ध दूध लेकर उसमें सभी बेलपत्र डाल दें। उसके बाद आप शिवलिंग की पूजा करें और भगवान शिव का अभिषेक करें। तत्‍पश्‍चात सभी बेलपत्रों को दूध के कटोरे से निकालकर स्‍वच्‍छ गंगाजल से धो लें। फिर हर पत्ते पर चंदन से ऊं लिख लें और इन पर इत्र छिड़ककर ऊं नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए चिकनी वाली सतह को शिवलिंग की ऊपर रखकर सभी बेलपत्र चढ़ा दें। हर बार बेलपत्र चढ़ाते समय “ऊं नम: शिवाय मंत्र” का जप जरूर करें।

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पुराणों में बेलपत्र को लेकर यह कथा मिलती है कि माता पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए कई जतन किए थे, कठोर तपस्या भी की थी। कई प्रकार के व्रत करती थी। एक बार भोले बाबा जंगल में बेल के पेड़ के नीचे बैठकर तपस्‍या कर रहे थे, तब माता पार्वती शिव जी की पूजा करने के लिए पूजन सामग्री लाना भूल गई थी। तब उन्होंने पेड़ के नीचे गिरे हुए बेलपत्रों से ही शिवजी की पूजा करना आरंभ कर दिया और उन्हें बेलपत्र से पूरा ढक दिया। इससे शिव जी बेहद प्रसन्न हुए और तब से उन्हें बेलपत्र चढ़ाया जाने लगा।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सच्चे मन से जो भी इंसान महादेव को बेलपत्र चढ़ाता है, उसे सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। बेलपत्र चढ़ाने से वैवाहिक जीवन में आनंद की प्राप्ति होती है और बड़े से बड़ा रोग दूर होता है। कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में राहत मिलती है। निःसंतान लोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है और सारी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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