Mahashivratri 2022: 1 या 2 मार्च जानें, कब मनाई जाएगी महाशिवरात्रि
punjabkesari.in Tuesday, Feb 15, 2022 - 07:57 AM (IST)

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Mahashivratri 2022: हिन्दू धर्म में तीन देवताओं - ब्रह्मा, विष्णु और महेश को इस सृष्टि की रचना एवं विनाश अर्थात सञ्चालन के लिए उत्तरदायी माना जाता है। इन तीनों ही देवताओं को एक साथ त्रिदेव की उपाधि दी गयी है। शंकर या महादेव सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, नीलकंठ आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हें भैरव के नाम से भी जाना जाता है।
शंकर जी सौम्य एवं रौद्र रूप दोनों के लिए विख्यात हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। इन्हें देवों का देव महादेव भी कहा जाता है। वेद में इनका नाम रुद्र है। इनकी अर्धांगिनी का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। महाशिवरात्रि को गौरी शंकर की शादी के रूप में भी मनाया जाता है और इसे शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि महाशिवरात्रि दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण और अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है। कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्तियों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं। ईशान संहिता में तो बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथ काल में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे।
इस बार 1 मार्च को मंगलवार के दिन महाशिवरात्रि बहुत ही शुभ मुहूर्त में पड़ रही है। इस दिन चंद्रमा पहले मकर राशि में और फिर कुंभ राशि में संचार करेगा । चंद्रमा का कंबीनेशन सूर्य व देव गुरु बृहस्पति से बनेगा। घनिष्ठा नक्षत्र के कारण इस दिन का महत्व और भी बढ़ रहा है।
महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी। शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। हालांकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से अपनी सुविधानुसार यह पूजन कर सकते हैं। रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है।
गुरमीत बेदी
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