Maha Navami: शत्रुओं पर विजय हासिल करनी हैं तो करें महानवमी पूजा, श्रीराम ने भी की थी
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 03:27 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Maha Navami 2025: हिन्दू धर्म में महानवमी (Maha Navami) का विशेष महत्व है। यह नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन होता है जिसे सिद्धिदात्री देवी को समर्पित किया गया है। इस दिन मां दुर्गा की उपासना करने वाले भक्तों को सभी सिद्धियां, शक्ति और कल्याणकारी आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, महानवमी का दिन रावण वध की कथा, दुर्गा सप्तशती और रामायण से भी जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि इसे विजय की पूर्व संध्या भी माना जाता है।
Maha Navami Significance महानवमी का धार्मिक महत्व
देवी सिद्धिदात्री की उपासना
नवदुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा इस दिन होती है। सिद्धिदात्री देवी सभी प्रकार की सिद्धियां और आध्यात्मिक शक्तियां प्रदान करती हैं।
रामायण प्रसंग
श्रीराम ने रावण वध से पूर्व महानवमी के दिन मां दुर्गा की पूजा की थी। उसी उपासना के बल पर अगले दिन विजयदशमी पर रावण का वध हुआ।
दुर्गा पूजा का चरम
बंगाल और पूर्वोत्तर भारत में महानवमी को दुर्गा पूजा का अंतिम दिन माना जाता है। इस दिन महाआरती, बलिदान और विशेष भोग लगाए जाते हैं।
Maha Navami Importance in Hinduism महानवमी का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व
प्राचीन काल में इस दिन अश्वमेध यज्ञ, राजसूय यज्ञ और शक्ति यज्ञ किए जाते थे। युद्ध पर जाने से पहले राजाओं द्वारा महानवमी पूजा अनिवार्य समझी जाती थी। यह पर्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक उत्सव भी है, जहां नौ दिनों की साधना के बाद भक्त शक्ति, भक्ति और विजय की कामना करते हैं।
Maha Navami rituals महानवमी पूजा की तैयारी
महानवमी के दिन की पूजा आरंभ करने से पहले घर और मंदिर को स्वच्छ किया जाता है।
महानवमी पूजा की आवश्यक सामग्री: मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर, लाल आसन, पुष्प, माला, दीपक, धूप, अगरबत्ती, कलश और गंगाजल, रोली, चंदन, कुमकुम, अक्षत, नारियल, मौली, चुनरी, फल, मिठाई और पंचमेवा, प्रसाद हेतु पूड़ी, हलवा और चना।
Maha Navami puja vidhi महानवमी पूजा विधि
संकल्प और आह्वान
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान पर कलश स्थापित करें और संकल्प लें। देवी सिद्धिदात्री का आह्वान करें।
देवी की स्थापना
प्रतिमा या तस्वीर को लाल आसन पर विराजमान करें। दीपक जलाकर पूजा आरंभ करें।
मंत्रोच्चारण
दुर्गा सप्तशती या नवमी के विशेष मंत्रों का पाठ करें। सिद्धिदात्री देवी के मंत्र का जाप करें: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः॥
अर्घ्य और पूजन
पुष्प, चावल और जल अर्पित करें। दुग्ध, दही, घी, शहद और गंगाजल से पंचामृत स्नान कराएं। चुनरी और आभूषण अर्पित करें।
कन्या पूजन
महानवमी पर कन्या पूजन विशेष फलदायी होता है। 9 कन्याओं और एक बटुक का पूजन कर उन्हें भोजन, उपहार और दक्षिणा दें।
भोग और आरती
माता को पूड़ी, चना और हलवे का भोग लगाएं। संध्या काल में महाआरती करें।
महानवमी व्रत और अनुष्ठान
भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और केवल पूजा उपरांत प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस दिन हवन और यज्ञ करने का विशेष महत्व है।
भक्त अपने कुलदेवी या ग्रामदेवी की भी विशेष पूजा करते हैं।
महानवमी और शक्ति साधना
तांत्रिक परंपरा में महानवमी की रात को साधक विशेष शक्ति साधनाएं, मंत्र सिद्धि और जप अनुष्ठान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की साधना से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
महानवमी का सामाजिक संदेश
महानवमी केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि स्त्री शक्ति और विजय का प्रतीक है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म की विजय निश्चित है। स्त्री शक्ति का सम्मान करना अनिवार्य है। भक्ति और साधना से जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
Maha Navami cultural traditions महानवमी और क्षेत्रीय परंपराएं
उत्तर भारत: कन्या पूजन और हवन की परंपरा।
बंगाल: दुर्गा पूजा की महाआरती और बलिदान।
दक्षिण भारत: आयुध पूजा (हथियार और औजारों की पूजा)।
नेपाल: महाशक्ति पूजा और पशु बलि की प्रथा।
महानवमी का आध्यात्मिक लाभ
नवमी पूजा से भक्त को आत्मिक शांति और सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है। जीवन के समस्त विघ्न और रोग दूर होते हैं। साधना करने वाले को ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
महानवमी का पर्व केवल नवरात्रि का अंत नहीं बल्कि शक्ति साधना की पूर्णता का प्रतीक है। यह दिन भक्तों के लिए विजय, सिद्धि और समृद्धि लेकर आता है। मां सिद्धिदात्री की उपासना से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं और जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि होती है। महानवमी हमें यह संदेश देती है कि – “सत्य, शक्ति और भक्ति का मार्ग ही परम विजय का मार्ग है।”