Magh Mela Kalpavas Rules : माघ मेले कल्पवास में कौन जा सकता है ? जानिए नियम और उम्र की सीमा

punjabkesari.in Wednesday, Dec 31, 2025 - 12:50 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Magh Mela Kalpavas Rules: प्रयागराज के संगम तट पर माघ महीने में कल्पवास करना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि स्वयं को तपस्या की भट्टी में तपाने जैसा है। माना जाता है कि इस दौरान संगम की रेती पर साक्षात देवताओं का निवास होता है, इसलिए यहाँ रहकर की गई साधना मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।

महत्वपूर्ण तिथियां
नए साल में माघ मेले का आधिकारिक आगाज़ 3 जनवरी 2026 को होगा। यद्यपि पौष पूर्णिमा की तिथि 2 जनवरी की शाम से ही लग जाएगी लेकिन उदयातिथि के महत्व के कारण कल्पवास का संकल्प और मुख्य स्नान 3 जनवरी को संपन्न होगा।

Magh Mela Kalpavas Rules

कल्पवास और आयु- क्या है सच्चाई?
एक आम धारणा है कि कल्पवास केवल वृद्ध अवस्था में ही किया जाता है, लेकिन शास्त्रों में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है।

युवाओं की भूमिका: कोई भी व्यक्ति चाहे वह युवा हो या गृहस्थ कल्पवास कर सकता है।

अनिवार्य शर्त: आयु से अधिक महत्वपूर्ण अनुशासन और निष्ठा है। यदि कोई भी व्यक्ति कल्पवास के कठिन नियमों का पालन करने का शारीरिक और मानसिक सामर्थ्य रखता है, तो वह इस तपस्या का पात्र है।

Magh Mela Kalpavas Rules

तपस्वी का जीवन: कल्पवास के कठोर नियम
कल्पवास के दौरान एक श्रद्धालु का जीवन किसी संन्यासी से कम नहीं होता। शास्त्रों में इसके लिए 21 नियमों का विधान है, जिन्हें 'आत्म-संयम का मार्ग' कहा जा सकता है:

सात्विक जीवन: कल्पवासी को भूमि पर शयन (जमीन पर सोना) करना होता है और दिन में केवल एक बार स्वयं के हाथों से बना सात्विक भोजन ग्रहण करना होता है।

त्रिकाल स्नान: प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त सहित दिन में तीन बार गंगा स्नान करने की परंपरा है।

ब्रह्मचर्य और मौन: इस दौरान ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन और कम से कम बोलना आवश्यक है।

धार्मिक अनुशासन: तुलसी और जौ की पूजा करना, सत्संग सुनना, झूठ न बोलना और किसी की निंदा न करना इस साधना का मुख्य हिस्सा है।

क्षेत्र की मर्यादा: एक बार कल्पवास का संकल्प लेने के बाद श्रद्धालु पूरे एक महीने तक मेला क्षेत्र की सीमा से बाहर नहीं जाता।

Magh Mela Kalpavas Rules


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Prachi Sharma

Related News