यहां मां को रिझाने के लिए किया जाता है नृत्य
punjabkesari.in Tuesday, Nov 05, 2019 - 12:37 PM (IST)

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भारत में क्या पूरे विश्व भर में ऐसे कई मंदिर व धार्मिक स्थल है जिनसे जुड़े रहस्य व कुछ पौराणिक मान्यताएं ऐसी हैं जिसे सुनकर मानव का चौंकना लाज़मी होता है। आज हम आपको ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी खासयित हिंदू धर्म के अन्य मंदिरों से कुछ अलग ही है। हम बात कर रहे हैं देवीपाटन धाम की जो उत्तरप्रदेश के बलरामपुर जिले से लगभग 28 कि.मी दूर तुलसीपुर नामक क्षेत्र में स्थित है। माना जाता है ये मंदिर देवी मां के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां विराजमान देवी मां को पटेश्वरी मां के नाम से जाना जाता है। यह स्थान योगपीठ भी माना गया है। ये शक्तिपीठ नेपाल सीमा के नजदीक पड़ता है। इसलिए न केवल भारत से बल्कि नेपाल से भी हर साल यहां कई श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
यहां कुंड में किया था स्नान महाभारत के इस पात्र ने स्नान
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवीपाटन शक्तिपीठ का सीधा संबंध सती, भगवान शंकर, गुरु गोरखनाथ और कर्ण से है। मान्यता है कि कर्ण ने महाभारत काल में यहां के कुंड में स्नान कर सूर्य को अर्ध्य दिया था, जिसके कारण इस कुंड को सूर्यकुंड के नाम से भी जाना जाता है। आज भी इस कुंड का पानी पावन माना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि इस पानी में नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैंतो वहीं कुछ लोगों का मानना है इस पानी से बीमारियां खत्म होती हैं।
चावल की ढेरी बनाकर होती है देवी मां की विशेष पूजा
मंदिर के महंत द्वारा बताया नवरात्रि के 9 दिन माता की पिंडी के पास चावल की ढेरी बनाकर माता का विशेष पूजन किया जाता है। बाद में उन्हें प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित कर दिया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक रविवार यहां माता को हलवे का भोग लगाया जा रहा है और शनिवार को आटे व गुड़ से बने रोट का भी विशेष भोग करने की मान्यता है।
पौराणिक गायन और नृत्य से प्रसन्न होती है देवी मां
लोक मान्यताओं के अनुसार मां पाटेश्वरी को प्रसन्न करने के लिए दरबार में नर्तकियां स्वेच्छा से पौराणिक गायन और नृत्य करती हैं। माना जाता है ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं।