Navratri 3rd Day: नवरात्रि की तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, हर तरह के भय से मिलेगी मुक्ति
punjabkesari.in Saturday, Oct 05, 2024 - 07:28 AM (IST)
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Shardiya Navratri 2024 3rd Day: शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण देवी का नाम चंद्रघण्टा पड़ा है। मां दुर्गा की यह शक्ति तृतीय चक्र पर विराज कर ब्रह्माण्ड से दसों प्राणों व दिशाओं को संतुलित करती है और महाआकर्षण प्रदान करती है। इनकी उपासना से भक्तगण समस्त सांसारिक कष्टों से छूटकर सहज ही परमपद के अधिकारी बन जाते हैं।
Worship of Maa Chandraghanta मां चंद्रघंटा की पूजा
मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है। मां को लाल पुष्प, रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है। इनकी पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है इसलिए इस दिन की पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है। अगर इस दिन की पूजा से कुछ अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है तो उस पर ध्यान न देकर आगे साधना करते रहना चाहिए।
Do these remedies for Kundli Dosh कुंडली दोष के लिए करें ये उपाय
अगर आपकी कुंडली में मंगल कमजोर है या मंगल दोष है तो आज की पूजा विशेष परिणाम दे सकती है। आज की पूजा लाल रंग के वस्त्र धारण करके करें। मां को लाल फूल, ताम्बे का सिक्का या ताम्बे की वस्तु और हलवा या मेवे का भोग लगाएं। पहले मां के मंत्रों का जाप करें। फिर मंगल के मूल मंत्र "ॐ अँ अंगारकाय नमः" का जाप करें। मां को अर्पित किए गए ताम्बे के सिक्के को अपने पास रख लें। चाहें तो इस सिक्के में छेद करवाकर लाल धागे में गले में धारण कर लें।
Meditation Mantra of Mother Chandraghanta मां चंद्रघंटा का ध्यान मंत्र
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
अर्थात श्रेष्ठ सिंह पर सवार और चंडकादि अस्त्र-शस्त्र से युक्त मां चंद्रघंटा मुझ पर अपनी कृपा करें।
Maa Chandraghanta's Bhog मां चंद्रघंटा का भोग
मां चंद्रघटा को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। देवी को यह भोग अत्यंत प्रिय है। इसे स्वयं भी ग्रहण करें और दूसरों को भी दें। वर्तमान में चल रहा दुःख दूर हो जाएगा।
Story of Maa Chandraghanta मां चंद्रघंटा की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, धरती पर जब राक्षसों का आतंक बढ़ने लगा तो दैत्यों का नाश करने के लिए मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था। उस समय महिषासुर नाम के दैत्य का देवताओं के साथ युद्ध चल रहा था। महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन हथियाकर स्वर्ग लोक पर राज करना चाहता था।
इसके बाद देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे। ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया। इन देवतागणों के क्रोध प्रकट करने पर मुख से एक दैवीय ऊर्जा निकली जिसने एक देवी का अवतार लिया। ये देवी मां चंद्रघंटा थीं। इन्हें भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज, दिया। इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध किया था।
Significance of the third day of Navratri नवरात्रि के तीसरे दिन का महत्व
नवरात्रि का तीसरा दिन साहस और आत्मविश्वास पाने का है। इस दिन हर तरह के भय से मुक्ति भी मिल सकती है।
Worshiping the Maa Chandraghanta gives peace माता की पूजा करने से मिलती है शांति
माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है और इससे न केवल इस लोक में अपितु परलोक में भी परम कल्याण की प्राप्ति होती है। इनके वंदन से मन को परम सूक्ष्म ध्वनि सुनाई देती है, जो मन को बहुत शांति प्रदान करती है। चूंकि इनका वर्ण स्वर्ण जैसा चमकीला है और ये हमेशा आसुरिक शक्तियों के विनाश के लिए सदैव तत्पर रहती हैं इसलिए इनकी आराधना करने वाले को भी अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध का प्रयोग कल्याणकारी माना गया है।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
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