द्वितीय रूप-मैया ब्रह्मचारिणी ‘‘आओ चलें मैया ब्रह्मचारिणी के दर..’’

punjabkesari.in Monday, Sep 30, 2019 - 09:05 AM (IST)

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आज शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। कहते हैं कि नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक मां की आराधना करने से व्यक्ति का सोया भाग्य जाग जाता है। वहीं मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाली हैं। 
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आओ चलें मैया ब्रह्मचारिणी के दर,
नवाएं शीष हम सौ-सौ बार!
करें सफल हम अपना जीवन,
दर मां का खुशियों का भंडार!!
आओ चलें मैया...खुशियों का भंडार!!

ज्योतिर्मय, उजला रूप तुम्हारा,
सादगी की तुम साक्षात् मूरत!
कर-कमलों में कमंडल, जपमाला-चंद्रमा सी चमके सूरत!!

दमके स्वर्ण-मुकुट की आभा,
भाए भक्तों को आकर्षण तेरा!!
बरसें पुष्प तीनों लोकों से,
छट जाए पल में घोर अंधेरा!!
देती सदा आशीष भक्तों को,
तन-मन-धन जो करते प्यार!
आओ चलें मैया...खुशियों का भंडार!!

मां जयंती, श्रीदेवी, यशस्विनी,
तेरे सब रूप अति न्यारे!
करे पूरी हर आशा भक्तों की,
भगाए दूर किस्मत के अंधियारे!!
किया हजारों वर्ष मैया तप तूने,
अर्धांगिनी शिव की कहलाई!
प्रेम-प्यार की भक्ति की तूने,
राह सारे जग को दिखलाई!!
करे समॢपत जो जीवन तुझको,
करती उसके जीवन का उद्धार!
आओ चलें मैया...खुशियों का भंडार!!
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तुम मां दुर्गा, जय-जयदम्बे,
ऊंचे-ऊंचे मंदिरों में बसेरा!
घंटे बजते, झंडे लहराएं लाल,
सुन्दर गुफाओं में है डेरा!!
कहें ‘झिलमिल’ कविराय अम्बालवी,
हम ज्योत जलाएं, शक्ति दो!
रखो सर पे हाथ आशीर्वाद का,
पल-पल की हमें भक्ति दो!!
गिले-शिकवे न रहें जहां में,
प्यार हो आपस में बेशुमार!
आओ चलें मैया...खुशियों का भंडार!!


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