नहीं होना चाहते भोलेनाथ के क्रोध के शिकार तो आज ही...
punjabkesari.in Tuesday, Feb 18, 2020 - 02:09 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अक्सर शिव भक्तों को कहते सुना जाता है कि इन्हें यानि देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ता। ये शीघ्र ही अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं। इनके भोलेनाथ कहने का एक कारण यही है कि ये इतने भोले हैं कि अपने भक्त के ज़रा से प्रयासों से अति प्रसन्न हो जाते हैं। हर किसी के मन में शिव जी को लेकर यही अवधारणा है। लेेकिन बता दें जिस तरह शिव जी जल्दी खुश होते हैं तो और भरपूर कृपा बरसाते हैं ठीक वैसे जो पाप करता है उसे इनके क्रोध का भी शिकार होना पड़ता है।
शिव पुराण में ऐसे कई कार्यों के बारे में वर्णन किया जाता है किसी पाप से कम नहीं माने जाते। कहा जाता है अगर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन काल में ये पाप करता है तो उसे शिव जी के क्रोध का शिकार होना पड़ता है। और अब ये तो आप सब जानते हीं होंगे भोलेनाथ का गुस्सा यानि जीवन में भूचाल आना। तो अगर आप शिव जी के क्रोध का हकदार नहीं बनना चाहते तो आगे बताई जाने वाले कामों को अपने जीवन में कभी नहीं दोहराएं वरना आपके जीवन में शिव जी का आशीर्वाद नहीं बल्कि क्रोध ही क्रोध होगा। जिसका सीधा अर्थात ये हुआ कि आपका जीवन सुखी व्यतीत नहीं हो पाएगा।
अब पाप का सुनने के बाद आपके मन में जो बात आई होगी वो ये कि यकीनन हम किसी बहुत बड़े पाप के बारे में बात कर रहे हैं मगर ऐसा नही है हमारे द्वारा हर छोटे-बड़े काम पर भगवान की नज़र रहती है। यहां तक कि व्यक्ति जो सोच रहा होता है वो भी भगवान से छिपा नहीं होता। इसलिए भले ही आप ने कभी किसी को अपने बात-व्यवहार में नुकसान पहुंचाया हो या अगर आपके मन में किसी के प्रति कभी कोई दुर्भावना आई हो आपको उसका भी पाप लगता है।
यहां जानें किस तरह की सोच पाप की श्रेणी में आती है-
जो लोग दूसरों के पति या पत्नी पर बुरी नज़र रखते हैं या उन्हें पाने की इच्छा रखता है तो इसे पाप की श्रेणी में माना जाता है।
आज कल के समय में अपने गुरु, माता-पिता, पत्नी या पूर्वजों का सम्मान न करना कोई बड़ी बात नहीं समझते, परंतु इसे भी पाप की श्रेणी में माना जाता है।
जो लोग गुरु की पत्नी के साथ संबंध बनाते हैैं या दान की हुई चीज़ें वापस ल लेते हैं, उसे महापाप माना जाता है।
हर कोई पैसा पाना चाहता है कोई मेहनत करता है तो वहं कुछ लोग दूसरों के धन को अपना बनाने की चाह रखते हैं, जिसे शिव पुराण में अक्षम्य अपराध माना गया है। इसके अलावा गलत तरीके से दूसरों की संपत्ति हड़पना भी एक पाप की श्रेणी में शामिल है।
किसी भी धार्मिक स्थल से ब्राह्मण या फिर मंदिर की कोई चीज़ें चुराना या गलत तरीके से हथियाना भी एक पाप कहलाता है।
जो लोग अपनी चतुरता से किसी भोले भाले आदमी को कष्ट देते हैं, उन्हें शिव जी के गुस्से का शिकार होना पड़ता है।