क्या आप जानते हैं ? भगवान जगन्नाथ के शरीर पर तुलसी की लेप लगाने का रहस्य !
punjabkesari.in Tuesday, Jun 03, 2025 - 07:01 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Chandan Yatra: हिंदू धर्म में भगवान जगन्नाथ को भगवान श्रीकृष्ण का ही एक दिव्य रूप माना जाता है, जो सृष्टि के पालनकर्ता विष्णु के पूर्ण अवतार हैं। जगन्नाथ शब्द का अर्थ है संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी, और इस रूप में वे विशेष रूप से ओडिशा के पुरी धाम में पूजित हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कलियुग में भगवान ने राजा इंद्रद्युम्न के माध्यम से जगन्नाथ के रूप में अवतार लिया। हर साल आषाढ़ मास में यहां विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विशाल रथों में नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इस दिव्य यात्रा में भाग लेना मोक्षदायक माना जाता है मान्यता है कि जो भी भक्त इस यात्रा में श्रद्धा से सम्मिलित होता है, उसे जीवन-मरण के बंधनों से मुक्ति मिलती है। इस महान उत्सव और सेवा परंपरा के बीच एक और विशेष बात यह है कि भगवान जगन्नाथ के पवित्र शरीर पर तुलसी का लेप लगाया जाता है। यह कोई सामान्य धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और औषधीय महत्व छिपा है। आइए, अब इस रहस्य को समझते हैं क्यों लगाया जाता है भगवान जगन्नाथ के शरीर पर तुलसी का यह पवित्र लेप।
क्यों लगाया जाता है तुलसी का लेप ?
भगवान जगन्नाथ को तुलसी अत्यंत प्रिय मानी जाती है इसलिए उन्हें तुलसी प्रेमी भगवान भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि बिना तुलसी के न तो उनकी पूजा पूरी मानी जाती है और न ही भोग स्वीकार होता है। हिंदू परंपराओं में तुलसी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक स्वरूप माना जाता है। भगवान की मूर्ति पर तुलसी का लेप लगाने की परंपरा सिर्फ भक्ति भाव से जुड़ी नहीं है बल्कि इसके पीछे आध्यात्मिक और शुद्धता से संबंधित कारण भी हैं। ऐसा विश्वास है कि तुलसी का लेप नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और मूर्ति की दिव्यता बनाए रखता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान के स्नान के बाद, विशेष रूप से गर्मी के मौसम में, उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए तुलसी का लेप किया जाता है। यह लेप न सिर्फ आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है बल्कि इसमें शरीर को ठंडक देने वाले गुण भी होते हैं, जिससे भगवान को तपन से राहत मिलती है।
इसके बिना अधूरी है भगवान जगन्नाथ की पूजा
हिंदू धर्म में तुलसी का स्थान अत्यंत विशिष्ट और पवित्र माना गया है। मान्यता है कि तुलसी कोई साधारण पौधा नहीं बल्कि देवी लक्ष्मी का ही दिव्य रूप हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने तुलसी को यह वरदान दिया था कि जब तक पूजा में तुलसी पत्र अर्पित नहीं किया जाएगा, तब तक वह पूजा पूर्ण नहीं मानी जाएगी। भगवान जगन्नाथ, जो भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के रूप में पूजित हैं, उनकी आराधना में भी तुलसी का विशेष स्थान है इसलिए जब भी भगवान जगन्नाथ की पूजा या भोग अर्पण किया जाता है, उसमें तुलसी की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है। यह न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक भी है।