Lalita Saptami: राधा अष्टमी से 1 दिन पहले और जन्माष्टमी के 14 दिन बाद मनाई जाती है ललिता सप्तमी, पढ़ें महत्व
punjabkesari.in Thursday, Aug 28, 2025 - 03:58 PM (IST)

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Lalita Saptami 2025: ललिता देवी भगवान श्री कृष्ण व राधा रानी की 8 सबसे प्रिय गोपियों में से एक हैं। इन गोपियों के समूह को अष्ट सखियों के रूप में भी जाना गया है। जिनमें ललिता देवी के अलावा विशाखा, चित्रलेखा, चंपक, लता, तुंग, विद्या, इंदुलेखा, रंगा देवी और सुदेवी शामिल हैं। कहा जाता है कि सभी आठों गोपियां श्रीराधाकृष्ण के लिए हमेशा अपना दिव्य प्रेम प्रदर्शित करती थीं। ललिता देवी को राधारानी की सबसे प्रिय व वफादार सखी का गौरव हासिल है।
ललिता देवी की श्रीराधाकृष्ण के प्रति भक्ति और उन दोनों के प्रति दिव्य प्रेम व सेवा भाव के दृष्टिगत राधा अष्टमी से 1 दिन पहले और जन्माष्टमी के 14 दिन बाद ललिता सप्तमी मनाई जाती है। भक्तजन इस दिन श्रीराधाकृष्ण के साथ ललिता देवी की पूजा करते हैं। यह पर्व भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है इसलिए इसे ललिता सप्तमी भी कहा जाता है।
ललिता देवी राधारानी की प्रधान सखी और उनकी सबसे निकटतम विश्वासपात्र मानी जाती हैं। इन्हें शठि सखी भी कहा जाता है क्योंकि इनकी स्वभाव में चतुराई और प्रेम-लीला के आयोजन की अद्भुत क्षमता है। ललिता जी की आयु राधारानी से थोड़ी अधिक मानी जाती है और वे राधारानी की मार्गदर्शक व सलाहकार भी हैं। उनका स्वभाव अत्यंत गंभीर, चतुर, हंसमुख और नीति-निपुण है। वे राधा-कृष्ण की मिलन-लीला में मुख्य सूत्रधार होती हैं।
ललिता सप्तमी का महत्व
कहा गया है कि ललिता सप्तमी के दिन स्नान-दान एवं उपासना करने से जन्मों के दोष और पाप मिट जाते हैं। सूर्योपासना करने से नेत्र ज्योति व स्वास्थ्य अच्छा होता है। शरीर की आरोग्यता और तेज में वृद्धि होती है। जो साधक इस दिन देवी ललिता का पूजन करता है, उसे समस्त सुख-समृद्धि, सौभाग्य और वैवाहिक आनंद प्राप्त होता है। ललिता देवी की कृपा सदा बनी रहती है।