कुशग्रहणी अमावस्याः आज के दिन कर लें पितरों से जुड़ा ये खास काम

punjabkesari.in Thursday, Aug 29, 2019 - 10:07 AM (IST)

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आज दिनांक 29 अगस्त 2019 दिन गुरुवार भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि है। जिसे कुशग्रहणी और पिठौरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर वर्षभर में किए जाने वाले धर्म-कर्म के लिए कुश यानि एक प्रकार की घास का संग्रह किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितरों का तर्पण करने के लिए ये दिन खास माना जाता है। किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण व दान करना लाभदायक होता है। लेकिन बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती हैं कि अमावस्या पर पितर पूजन करने से लाभ व पितरों का आशीर्वाद मिलता है। इसीलिए आज हम आपको इसके खास महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद कम ही लोग जानते होगें।
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इस खास तिथि पर कुश यानि घास का संचय करना चाहिए। जो भी कुश इस तिथि को मिल जाए, वही ग्रहण कर लेना चाहिए। वैसे तो जिस कुश में पत्ती हो, आगे का भाग कटा न हो और हरा हो, वह देवताओं और पितर देवों के पूजन कर्म के लिए उपयुक्त होती है और इसे निकालने के लिए सूर्योदय का समय श्रेष्ठ रहता है। 

धार्मिक महत्व 
कुश के आसन पर बैठकर पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को आध्यामिक ऊर्जा ज्ञान की प्राप्ति होती है। पूजा के समय एक खास ऊर्जा एकत्रित होती है, जोकि व्यक्ति के शरीर के लिए लाभदायक होती है। शास्त्रों के अनुसार कुश के बने आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाते हैं। 
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पितर तर्पण
कुश की अंगुठी बनाकर अनामिका उंगली मे पहनकर पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस संबंध में मान्यता है कि हाथ में एकत्रित आध्यात्मिक ऊर्जा उंगलियों में न जाए। इस उंगली के नीचे सूर्य पर्वत रहता है। सूर्य से हमें ऊर्जा, मान-सम्मान मिलता है। 

इस तिथि पर सुबह नदी किनारे जाकर पितरों का तर्पण किया जाता है।

इस दिन हनुमान मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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सुबह पीपल के पेड़ पर जल व दीपक जलाने से लाभ मिलता है। 


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