Krishna janmashtami: जन्माष्टमी की रात 12 बजे इस विधि से करें लड्डू गोपाल की पूजा
punjabkesari.in Friday, Aug 15, 2025 - 06:47 AM (IST)

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Happy Krishna janmashtami Laddu gopal: भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन उतनी ही खुशी और धूम-धाम से मनाया जाता है, जितना की एक बच्चे के जन्म होने पर मनाया जाता है। बाल गोपाल कुंज गलियों से निकल कर चाहे द्वारिकाधीश बन गए लेकिन अपने रसिको के लिए वे आज भी बाल रुप लड्डू गोपाल के रुप में पूजे जाते हैं। जन्माष्टमी के दिन उनकी विशेष पूजा रात 12 बजे की जाती है। श्रीकृष्ण के बाल रुप लड्डू गोपाल को बहुत ही सुंदर वस्त्र पहनाएं जाते हैं। इस दिन लोग घर और मंदिर की भी बहुत अच्छे से सजावट करते हैं। श्री कृष्ण के लिए झूला बनाया जाता है और सजाया जाता है।
जन्माष्टमी दिन की शुरुआत स्नान और मौन साधना से करें, ताकि मन शांत हो और कृष्ण-चेतना जागे। मध्यरात्रि से पहले पूजा स्थान को अंधकार में रखें और ठीक जन्म समय पर दीप जलाएं यह जन्म का प्रतीक है।
प्राचीन काल से ही घर को सजाने के लिए रंगोली बनाई जाती है। सनातन धर्म में रंगोली को बहुत ही शुभ माना जाता है। जन्माष्टमी पर घर को सजाने के लिए मुख्य द्वार के पास और मंदिर में रंगोली बनाएं। घर की सजावट करके और रंगोली बना कर श्री कृष्ण को अपने घर आने के लिए बुलाएं।
श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में पूरे घर को रोशन कर दें। श्री कृष्ण के स्वागत में पूरे घर को दिए या फिर बिजली वाले झालरों से सजा सकते हैं। घर के मंदिर को भी प्रकाशमय कर दें। घर के किसी भी कोने में अंधकार न होने दें।
चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप को पात्र में रखें। फिर लड्डू गोपाल को पंचामृत व गंगाजल से स्नान करवाने के बाद नए वस्त्र में वस्त्र पहनाएं। उन्हें रोली और अक्षत से तिलक करें। अब लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाएं। श्री कृष्ण को तुलसी का पत्ता भी अर्पित करें। भोग के बाद श्रीकृष्ण को गंगाजल भी अर्पित करें और हाथ जोड़कर अपने आराध्य देव का ध्यान लगाएं।
दूध, माखन और मिश्री श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की प्रिय भेंट हैं साथ ही यह सरलता और पोषण का संकेत देते हैं। अत: रात को 12 बजे बाल गोपाल को माखन और मिश्री का भोग अवश्य लगाएं।
108 नामों का स्मरण: "ॐ श्रीकृष्णाय नमः" के साथ 108 नामों का पाठ कर, प्रत्येक नाम के साथ एक मानसिक पुष्प अर्पित करें।
बाल गोपाल का झूला: झूले को फूल, तुलसी और पीत वस्त्र से सजाएं, फिर मंत्रोच्चार के साथ धीरे-धीरे झुलाएं।