Krishna Janmashtami 2024: बहुत ही शुभ योगों में मनाया जाएगा मां यशोदा के लाला का जन्मदिन, जानें Date
punjabkesari.in Sunday, Aug 18, 2024 - 07:49 AM (IST)
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Krishna Janmashtami 2024: श्री कृष्ण की असीम कृपा और उनकी भक्ति प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी का दिन बेहद ही खास होता है। इस दिन पूजा पाठ करने से जीवन में तमाम दुखों से मुक्ति मिलती है। भक्त इस दिन का बहुत ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। ब्रज में इस पर्व की बहुत धूम देखने को मिलती है। ऐसा लगता है मानों श्री कृष्ण की पूजा करने से सारे देवता पृथ्वी आ गए हैं। इस बार की जन्माष्टमी बेहद ही खास होने वाली है क्योंकि इस बार जन्माष्टमी के दिन जयंती योग का निर्माण हो रहा है। जो भी भक्त इस दिन व्रत रखेगा उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं कि 2024 में जन्माष्टमी का पर्व कब मनाया जाएगा।
Shri Krishna Janmashtami date and auspicious time श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तिथि और मुहूर्त
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 25 अगस्त को रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी और अगले दिन सोमवार को 26 अगस्त रात 2 बजकर 19 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार ये पर्व 26 अगस्त को मनाया जाएगा।
अष्टमी तिथि का प्रारंभ - 26 अगस्त, सुबह 3 बजकर 40 मिनट से
अष्टमी तिथि का समापन - 27 अगस्त, सुबह 2 बजकर 20 मिनट तक
दही हांडी - 27 अगस्त दिन मंगलवार
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र
रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ - 26 अगस्त, शाम 3 बजकर 55 मिनट से
रोहिणी नक्षत्र का समापन - 27 अगस्त, शाम 3 बजकर 38 मिनट पर
इसके अलावा 26 अगस्त के दिन जयंती योग का निर्माण होने जा रहा है। डबल पुण्यों की प्राप्ति के लिए ये योग बेहद ही बेहतर होता है। यदि आपका जीवन भी समस्याओं से घिरा हुआ है तो ये व्रत आपको अवश्य करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से अंत समय में वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है।
Krishna Janmashtami Puja Vidhi कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि
इस दिन सुबह उठकर व्रत लेने का संकल्प करें।
इसके बाद अपने लड्डू गोपाल का पंचामृत से अभिषेक करें। इस दिन उनके बाल रूप की पूजा करने के विधान है।
फिर उन्हें नए कपड़े पहनाएं और उनका श्रृंगार करें।
उनके सामने घी का दीपक जलाने के बाद कृष्ण जन्म कथा का पाठ करें।
अंत में उनकी पसंदीदा चीज मिश्री का भोग लगाएं और आरती के साथ समापन कर दें।