Karwa Chauth: हरियाणा के इन गांवों में नहीं रखा जाता करवा चौथ का व्रत, जानिए क्यों माना जाता है यह स्थान शापित

punjabkesari.in Tuesday, Oct 07, 2025 - 02:00 PM (IST)

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Haryana Karwa Chauth Village: भारत में करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे पवित्र और शुभ पर्वों में से एक माना जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की मंगलकामना करती हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि हरियाणा के कुछ गांव ऐसे हैं जहां करवा चौथ का व्रत नहीं रखा जाता ? बल्कि यह माना जाता है कि यदि कोई सुहागिन इस दिन व्रत रखे तो उसका सुहाग नष्ट हो जाता है।

Haryana Karwa Chauth Village
ये हैं वे तीन रहस्यमयी गांव
हरियाणा के करनाल जिले के तीन गांव कतलाहेड़ी, गोंदर और औंगद (ओगन्ध) इस रहस्य से जुड़े हुए हैं। इन गांवों में सदियों से करवा चौथ का पर्व नहीं मनाया जाता। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इन गांवों की स्त्रियां यदि यह व्रत रख लें तो वे विधवा हो जाती हैं। यही कारण है कि यहां करवा चौथ को शोक का दिन माना जाता है। हालांकि, यदि इन गांवों की बेटियां शादी के बाद किसी दूसरे गांव में जाती हैं, तो वे वहां यह व्रत रख सकती हैं। उनका सुहाग सुरक्षित रहता है क्योंकि शाप केवल इन गांवों की धरती तक सीमित माना जाता है।

Haryana Karwa Chauth Village
600 साल पुरानी कथा, शाप की उत्पत्ति
स्थानीय कथा के अनुसार, लगभग 600 वर्ष पहले राहड़ा गांव की एक कन्या की शादी ओगन्ध गांव के एक युवक से हुई थी। करवा चौथ से एक दिन पहले उस लड़की ने सपना देखा कि उसका पति मक्के की गठरियों में छिपाकर मारा गया है। उसने यह बात अपने मायके वालों को बताई, जो करवा चौथ के दिन ओगन्ध पहुंचे। जब उन्होंने बताया स्थान खोदा, तो वहां वास्तव में उसके पति का शव मिला।

उस दिन वह महिला करवा चौथ का व्रत रखे हुए थी। उसने अपने करवे को गांव की महिलाओं को देने की कोशिश की, लेकिन किसी ने स्वीकार नहीं किया। शोकाकुल होकर वह अपने पति के साथ करवा सहित सती हो गई और मरने से पहले शाप दिया, “जिसने इस भूमि पर करवा चौथ का व्रत रखा, उसका सुहाग नष्ट हो जाएगा।”

तब से आज तक इन गांवों में कोई भी सुहागिन यह व्रत नहीं रखती।

Haryana Karwa Chauth Village
आज भी जीवित है परंपरा
ओगन्ध गांव में आज भी उस महिला का सती मंदिर मौजूद है। करवा चौथ के दिन गांव की महिलाएं वहां जाकर मत्था टेकती हैं पर व्रत नहीं रखतीं। वहीं, कतलाहेड़ी और गोंदर गांवों में भी यही परंपरा आज तक जारी है।

यह घटना भारतीय परंपराओं की गहराई, श्रद्धा और लोककथाओं की रहस्यमयी दुनिया को दर्शाती है, जहां आस्था और इतिहास एक साथ चलते हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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