चंद्र देव को अर्घ्य देने से पहले जाने लें कौन सी दिशा है इसके लिए शुभ
punjabkesari.in Tuesday, Oct 11, 2022 - 02:47 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के आगामी पक्ष यानि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ का पर्व बड़ी ही धूम धाम से देश में मनाया जाता है। इस वर्ष ये पर्व व्रत आने वाली 13 अक्टूबर दिन गुरुवार को पड़ रहा है। हिंदू धर्म में करवाचौथ के व्रत को केवल एक व्रत के रूप में नहीं बल्कि उत्तर भारत में मुख्य रूप से इसे बहुत बड़े त्यौहार के तौर पर मनाया जता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना से पूरा दिन निराहार व निर्जला व्रत करती हैं जिसके बाद रात को चंद्र देव को अर्घ्य दे कर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। बता दें कि वास्तु में करवाचौथ व्रत को लेकर कुछ दिशाओं के बारे में बताया गया है। करवा चौथ का व्रत शुरू होने से लेकर चंद्र को अर्घ्य देने तक अगर दिशाओं का खास क्याल रखा जाए। तो मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। तो आइए आपको उसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं कि सरगी का ग्रहण किस दिशा में करना चाहिए, पूजा किस दिशा में। साथ ही साथ चांद को अर्घ्य किस दिशा में देना चाहिए।
करवाचौथ व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी खाने से होती है। ऐसे में व्रती महिलाएं घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में बैठकर सरगी को ग्रहण करें। ऐसा करने से आपको बेहद ही शुभ लाभ होगा।
करवाचौथ की पूजा करते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि व्रती महिलाओं का मुंह पूते करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। क्योंकि वास्तु शास्त्र के मुताबिक करवाचौथ की पूजा के लिए ये दोनों दिशाएं बेहद ही शुभ मानी गई है।
करवाचौथ व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही किया जाता है। तो ऐसे में आपको बता दें कि चंद्रमा को अर्घ्य देते समय आपकी दिशा उत्तर-पश्चिम की ओर होनी चाहिए। इस दिशा में मुख करके चंद्रदेव को अर्घ्य देने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है।
इसके अलावा करवाचौथ के दिन अपना ज्यादा से ज्यादा समय पति, बच्चों और परिवार के साथ दक्षिण-पूर्व दिशा में बिताएं। क्योंकि वास्तु शास्त्र में इन दिशाओं को बेहद शुभ माना गया है।
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इसी के साथ जब आप व्रत का पारण कर लें तो उसके बाद पति-पत्नी को पूर्व दिशा की ओर बैठकर भोजन करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिशा में बैठकर भोजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। और दांपत्य जीवन में आपको तमाम सुखों की प्राप्ति होती है।
वास्तु शास्त्र का मानना है कि करवाचौथ की पूजा घर के मंदिर या फिर हॉल में बैठकर ही करनी चाहिए।
यहां जानें करवाचौथ पर चंद्र देव को अर्घ्य देने के लाभ के बारे में-
शास्त्रों के अनुसार, चंद्रमा को अर्घ्य देते समय ध्यान रहे कि पानी में थोड़ा सा दूध भी मिला हो। ऐसा करने से मन में सभी प्रकार के नकारात्मक विचार, असुरक्षा की भावना, पति के स्वास्थ्य की चिंता और दुर्भावना खत्म हो जाती है। साथ ही कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत हो जाती हैं। इससे सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है और पति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।