करतारपुर कॉरिडोर ने रच डाला राष्ट्रीय इतिहास

punjabkesari.in Wednesday, Nov 13, 2019 - 10:53 AM (IST)

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'सुणी अरदास स्वामी मेरे सरब कला बण आई।
प्रकट भई सगले युग अंतर गुरु नानक की वडियाई॥'

भाव जिस मनुष्य ने भी गुरु के शबद का सहारा लेकर प्रभु का सिमरन किया है तो परमेश्वर ने उसकी अरदास सुन ली। फिर करोड़ों अड़चनों का सामना करने के लिए उसके अंदर पूरी ताकत पैदा हो जाती है। इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं कि पिछले 72 सालों से निरंतर की जा रही अरदास अकाल पुरख ने उस समय कबूल कर ली जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 9 नवम्बर को पहले सुल्तानपुर लोधी में नतमस्तक होने के बाद डेरा बाबा नानक की पावन धरती पर पहुंच कर करतारपुर कॉरीडोर राष्ट्र को समर्पित कर दिया। इससे पहले देश के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने 26 नवम्बर 2018 को भारत में इसका नींव पत्थर रखा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी कंटीली तार तोड़ कर दिलों की तार जोड़ने वाला प्रशंसनीय कार्य किया, जिससे दरबार साहिब करतारपुर दर्शनों के लिए खुल गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां पूरे सिख समाज को इस अद्भुत अवसर पर हार्दिक बधाई दी, वहीं बेहद भावपूर्ण तरीके से शुक्रिया अदा भी किया। ब्यूमैन ने लिखा था कि दो वीरों में से बहादुर वह है जो दुश्मन का भी सत्कार करता है। मोदी ने इस कथनी को करनी में बदल डाला।
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मोदी ने अपने शुद्ध गैर-राजनीतिक, धार्मिक भाषण में जिस श्रद्धा, प्रतिबद्धता, स्पष्ट रूप से साफ-सुथरे ढंग में अपना प्रभावशाली संदेश नानक का नाम सिमरन करने वाली संगत को दिया, उसकी जितनी भी तारीफ़ की जाए कम होगी। मोदी ने नानक की उदासियों और उनके उपदेशों का उदाहरणों सहित व्याख्यान कर सिख समाज में अपनी एक विशेष जगह बना ली। जपुजी साहिब के अंतिम श्लोक 'पवन गुरु पानी पिता-माता धरत महत् की महानता बयां करते हुए मोदी ने अपने देश को ही नहीं बल्कि समस्त मानवता को वातावरण और पानी को बचाने तथा इसको सम्भालने पर जोर दिया। यह एक बेमिसाल संदेश था।

रुकावटें और सफलता
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के कथन अनुसार मतभेद भुलाकर किसी विशेष कारज के लिए सभी लोगों का एक हो जाना सजीव राष्ट्र का लक्षण है। मैं महसूस करता हूं कि तिलक जी का यह विचार इस कार्य के लिए ही लागू होता है। जब इमरान खान ने नवजोत सिंह सिद्धू को शपथ ग्रहण समारोह में निमंत्रण दिया था तब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने अचानक सिद्धू के कान में फूंक मारी कि पाकिस्तान करतारपुर साहिब का रास्ता खोलने पर विचार कर रहा है। तब सिद्धू ने तुरंत ही बाजवा को आलिंगन कर दिया। बस फिर क्या था, यह कहा गया कि दुश्मन संग आलिंगन करने पर सिद्धू पर देशद्रोह का मुकद्दमा चलाया जाना चाहिए। फिर यह भी चर्चा चली कि अभी इमरान खान ने शपथ भी ग्रहण नहीं की थी तब सेना प्रमुख ने फैसला भी ले लिया। इस बात की पुष्टि तो हो गई कि सरकार किसी की भी बने, पाकिस्तान के भीतर वह सेना के इशारे पर ही नाचेगी। इसके साथ पाकिस्तान की ओर से आतंकी हमलों के कारण स्थिति और भी विकराल रूप ले गई तथा अनुच्छेद 370 में संशोधन करने के कारण पाकिस्तान और भी भड़क गया।दूसरा पहलू यह भी है कि पिछले वर्ष जब डेरा बाबा नानक क्षेत्र में करतारपुर साहिब कॉरीडोर का नींव पत्थर रखना था तब राजनीति गर्मा गई। फिर उद्घाटन समारोह के दौरान इस बात का श्रेय लेने की राजनीतिक पार्टियों में होड़ लग गई। अलग-अलग पंडाल लगने शुरू हो गए। आखिर में नानक की मेहर के कारण एक संयुक्त कार्य हेतु एकजुट हो अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के नेतृत्व में पहला जत्था दरबार साहिब करतारपुर की ओर रवाना हुआ।
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चेतावनी
पंजाब के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का धन्यवाद किया। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने पाकिस्तान के नापाक इरादों विरुद्ध भी चौकसी रखने की ज़रूरत को दोहराते हुए कहा कि पाकिस्तान की ओर से राज्य में माहौल बिगाड़ने और शांति भंग करने की कोशिश की गई तो उसका मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा क्योंकि हमने चूड़ियां नहीं पहन रखीं। इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। मगर इस पवित्र मौके पर गुरु साहिब के संकल्प, नम्रता, सहनशीलता, भाईचारा तथा आपसी मेल-

मिलाप वाला संदेश देने की बजाय धमकियां देना शोभा नहीं देता-
वर्णनीय है कि भारत का खुफिया तंत्र विशेष तौर पर रिसर्च एंड एनालसिस विंग (रॉ) देश की सबसे उत्तम सूचना प्रणाली है। इस विंग के आर्बट में 15 सैटेलाइट स्टेशन हैं, जिसके माध्यम से वह पाकिस्तान सहित बाकी के पड़ोसी देशों के अंदर से सूचना प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है और दुश्मन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इसके साथ ही इस विंग का सम्पर्क अफगानिस्तान की खुफिया एजैंसी के.एच.ए.डी. तथा रूस की के.जी.बी. के साथ है, जरूरत पड़ने पर अमरीका की सी.आई.ए. संग भी सम्पर्क साधा जा सकता है। इसलिए डरने-डराने की कोई आवश्यकता नहीं है मगर निगरानी जरूर रखनी होगी। पाकिस्तान को भी चाहिए कि वह आतंक वाली स्टेट पालिसी का त्याग कर बातचीत वाला रास्ता अपनाए। इसी में दोनों देशों की भलाई होगी।

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Jyoti

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