Kanya Sankranti: कितने उपाय कर लिए कुछ काम नहीं हुआ तो कन्या संक्रांति पर करें ये उपाय, जीवन के हर क्षेत्र में मिलेगी सफलता

punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 04:52 PM (IST)

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Kanya Sankranti 2025: कन्या संक्रांति एक महत्वपूर्ण सौर पर्व है, जब सूर्य अपनी स्वराशि सिंह राशि से निकल कर कन्या राशि में प्रवेश करता है। इस संक्रांति से मौसम और जीवन चक्र दोनों पर प्रभाव पड़ता है। कन्या संक्रांति वर्षा ऋतु के अंत और शरद ऋतु के प्रारंभ का सूचक है। यह समय फसल पकने और नवरात्रि की तैयारियों का भी होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा और दान-पुण्य करना बहुत शुभ माना जाता है। पितृपक्ष इस समय में चल रहा है इसलिए श्राद्ध व तर्पण कार्य का महत्व और भी बढ़ जाता है।

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Kanya Sankranti shubh muhurat कन्या संक्रांति शुभ मुहूर्त
17 सितंबर 2025 को कन्या संक्रांति है। कन्या संक्रांति का पुण्य काल दोपहर 1 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम के 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इसकी अवधी में सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश होगा। जो औसत 04 घंटे 33 मिनट तक है। कन्या संक्रांति का महापुण्य काल दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 03:31 बजे तक रहेगा। जो औसतन 01 घंटे 45 मिनट तक रहने वाला है।

सूर्य के कन्या राशि में आने से जातकों के जीवन में नए परिवर्तन होते हैं। यह समय कड़ी मेहनत, सेवा भाव और स्वास्थ्य जागरूकता का माना जाता है। जिनकी जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर है, उन्हें विशेष लाभ के लिए सूर्य उपासना करनी चाहिए।

कन्या संक्रांति तब होती है जब सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करता है। इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बहुत विशेष माना जाता है। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में है तो कन्या संक्रांति पर विशेष उपाय करने से लाभ मिलता है।

कमजोर सूर्य से आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, स्वास्थ्य (विशेषकर आंख, हड्डियां, हृदय), सरकारी कार्यों और पिता के साथ संबंधों में बाधा आती है। कन्या संक्रांति को सूर्य देव के उपासना दिवस के रूप में माना जाता है, इस कारण यह दिन सूर्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए अत्यंत शुभ है।

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What to do on kanya sankranti कन्या संक्रांति पर क्या करें
प्रातःकाल स्नान करके सूर्य को जल अर्पित करें। जल में लाल फूल और अक्षत अवश्य डालें।
आदित्य हृदय स्तोत्र या ॐ घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जप करें।
गरीबों और ब्राह्मणों को गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र या तांबे के बर्तन का दान करें।
पिता या गुरुजनों का सम्मान करें और उनका आशीर्वाद लें।
दिन भर संयमित रहकर आत्मचिंतन और सेवा कार्य करें।

इन उपायों से सूर्य की कमजोरी काफी हद तक कम होकर जीवन में तेज, सम्मान और सफलता बढ़ती है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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