Kanwar Yatra: आस्था की पदयात्रा कांवड़ के हैं कई रूप, जानें कितनी विधियों से किया जाता है शिवलिंग का अभिषेक

punjabkesari.in Tuesday, Jul 01, 2025 - 02:00 PM (IST)

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Kanwar Yatra 2025: शास्त्रों के अनुसार सावन मास कोई साधारण महीना नहीं है। यह जल और ज्योतिषीय योगों के पुनर्संयोजन का मास है। इसे दिव्य चक्रों की धुरी कहा गया है। श्रावण का अर्थ ही श्रवण करने योग्य काल है। इस महीने में की गई श्रवण (सुनना), ध्यान (धारणा) और उपासना (अनुष्ठान) सामान्य दिनों से 108 गुना अधिक फलदाई माना जाता है। इस समय आकाशीय तरंगें (चंद्र-केंद्रित जल तरंगें) मस्तिष्क के श्रवण-नाड़ी मंडल को बहुत संवेदनशील बना देती हैं।

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Types of Kawad Yatra: कांवड़ वैसे तो भगवान शिव की पूजा करने का एक साधन है, तपस्या है, किन्तु कांवड़ के कई रूप हैं जैसेः

Normal or Ordinary Kanwar सामान्य कांवड़ः सामान्य कांवड़ को जमीन पर नहीं रखा जाता। सामान्य कांवड़ को ‘पैदल कांवड़’ भी बोलते हैं। सामान्य कांवड़ वाला कांवडिया जहां चाहे वहां विश्राम कर सकता है और विश्राम के दौरान अपनी कांवड को कांवड़ स्टैंड पर रख सकता है।

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Khadi Kanwar खड़ी कांवडः खड़ी कांवड़ अपने नाम के जैसी है, ये कांवड खड़ी रहती है, इसे न तो जमीन पर रख सकते हैं और न ही कांवड स्टैंड पर इसलिए यदि कांवड़ियों को विश्राम करना है तो उसे अपनी कांवड़ अपने सहयोगी को देनी होगी तथा जब तक कांवड़िया विश्राम करेगा तो उसका सहयोगी उसकी कांवड़ को लेकर खड़ा रहेगा और चलने के अंदाज में हिलता-डुलता रहेगा।
 
Dandi Kanwar दांडी कांवड: दांडी कांवड सबसे कठिन होती है क्योंकि इसमें कांवड़िया गंगा जी से जल लेकर शिवमंदिर तक यात्रा दंड देते हुए करते हैं अर्थात अपने मार्ग की दूरी को अपने शरीर की लंबाई से लेट कर नापते हुए यात्रा पूरी करते हैं। इसमें 1 या 2 माह लग जाते हैं।

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Dak Kawad डाक कांवड़ः डाक कांवड़ बिना विश्राम किये लगातार चलने वाली कांवड़ होती है। इसमें कांवड़िया अपनी दूरी तय करने के लिए बिना रुके 24 घंटे के लगभग शिव मंदिर तक पहुंचते हैं। इस दौरान शरीर से उत्सर्जन की क्रियाएं तक वर्जित होती हैं।

Jhanki wali Kawad झांकियों वाली कांवड़ः झांकियों वाली कांवड को 10-12 अथवा ज्यादा लोगों की एक टोली बनाकर, ट्रक, जीप अथवा किसी खुली गाड़ी में भगवान भोले नाथ का बड़ा चित्र लगाकर उस पर रोशनियां डालते हुए भगवान शिव को फूलों से सजा कर, तेज-तेज भजनों की ध्वनियों के साथ नाचते गाते हुए लाते हैं।

Bike Kavad बाईक कांवड़ः बाईक कांवड़ वाले कांवड़िया अपनी बाइक को सजाकर गंगाजल बाईक अथवा कंधे पर लटका कर बाइक से गंगा जी से जल लेकर अपने घरों के पास बने मंदिरों में भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करते हैं।

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Jhoola Kanwar झूला कांवड़ः झूला कांवड़ झूलती रहती है इसको अगर किसी सहयोगी को दें तो वो सहयोगी इसको झूलाता रहेगा या कांवड स्टैंड पर रखे तब भी कांवड़ को झूलाना पड़ेगा, झूला कांवड़ को अकेले नहीं छोड़ा जा सकता।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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