Kanwar Yatra: भगवान श्रीराम ने कांवड़िए का रूप बनाकर किया था ज्योतिर्लिंग का अभिषेक

punjabkesari.in Sunday, Jun 29, 2025 - 02:00 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Sawan Kanwar Yatra 2025: मीमांसा के अनुसार ‘क’ का अर्थ जीव और ‘अ’ का अर्थ विष्णु माना गया है, ‘वर’ का अर्थ जीव और सगुण परमात्मा का उत्तम धाम। इसी प्रकार ‘कां’ का अर्थ जल बताया गया है तथा ‘आवर’ को उसकी व्यवस्था माना गया है अर्थात जल पूर्ण घटों को व्यवस्थित करके शिव को अर्पण कर परमात्मा की व्यवस्था को स्मरण किया जाता है। ‘क’ को सिर की संज्ञा दी गई है क्योंकि सिर सभी अंगों में प्रधान है, ‘आवर’ का अर्थ धारण करना। शरीर में ज्ञान सिर्फ मस्तिष्क में होता है, मस्तिष्क से ही सम्पूर्ण शरीर चलता है इसी प्रकार भगवान शिव के द्वारा ही सम्पूर्ण सृष्टि का प्रतिपादन होता है।

Sawan Kanwar Yatra
Sawan Kanwar Yatra story: हिन्दू मान्यता के अनुसार कांवड़ का संबंध समुद्र मंथन से है। समुद्र मंथन के दौरान समुद्र में से विष निकला था तब भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए विष का सेवन किया, जिससे वे नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित हो गये थे। रावण शिव भक्त था उसने शिव का ध्यान किया और कांवर का उपयोग कर गंगा के पवित्र जल को लाकर भगवान शिव को अर्पित किया। जिससे विष का नकारात्मक प्रभाव भगवान शिव से दूर हुआ। इसी प्रकार मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने भी सदाशिव को कांवड़ चढ़ाई थी। भगवान श्रीराम ने कांवड़िए का रूप बनाकर सुल्तानगंज से गंगाजल लिया और देवघर स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया था इसका पूर्ण उल्लेख ‘आनंद रामायण’ में मिलता है।  

PunjabKesari Sawan Kanwar Yatra
सावन का महीना भगवान शिव का महीना है, भगवान शिव के भक्त शिव जी को प्रसन्न करने के लिए नंगे पैर कांवड़ लाते हैं। भक्त केसरिया रंग के कपडे़ पहनकर ‘बोल-बम बम-बम तड़क-बम’ का उद्घोष करते हुए यात्रा करते हैं, इन सब भक्तों को कांवड़िया कहा जाता है। ‘कांवड़’ शब्द का अगर विच्छेद किया जाये तो “च्कस्य आवरः कावरः”

PunjabKesari Sawan Kanwar Yatra
अर्थात परमात्मा का सर्वश्रेष्ठ वरदान अर्थात शिव के साथ विहार, ब्रह्म यानी परात्पर शिव या जो शिव में रमन करें वह ‘कांवड़िया’ होता है।

PunjabKesari Kanwar Yatra


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News